शासनश्री साध्वी पद्मावती जी के अनशन के प्रति काव्यात्मक उद्गार

शासनश्री साध्वी पद्मावती जी के अनशन के प्रति काव्यात्मक उद्गार

अर्हम्

मुनि अर्हत, मुनि भरत कुमार, मुनि जयदीप

शासनश्री पद्मावती जी, अद्भुत साहस दिखाया।
संयम जीवन पर स्वर्णिम, सुंदर कलश चढ़ाया॥ध्रु॥

शुरो वीरो का पथ है, जीवन का उत्कृष्ट अथ है।
द‍ृढ़-इच्छा शक्‍ति द्वारा, यह दुष्कर पथ अपनाया॥1॥

महाराष्ट्र की पावन धरती, पा तुम्हें गौरव वरती।
शाहदा गेलड़ा परिकर को तुमने खूब दिपाया॥2॥

गुरु तुलसी आशीर्वर से, दीक्षा भत्तू जी कर से।
विनय समर्पण के द्वारा, दिल में निजस्थान जमाया॥3॥

भत्तू, नगिना सहगामी, बनकर फिर अग्रगामी।
लंबी-लंबी यात्रा कर, शासन का सुयश बढ़ाया॥4॥

गुरुभक्‍ति-संयम की शक्‍ति, देखी अंतर अनुरक्‍ति।
मुक्‍ति की युक्‍ति पाने, अनशन का साज सजाया॥5॥

मयंक ज्यूं शीतल जीवन, मेरू सम अडिग अटल प्रण।
दक्ष सती गवेषणांजी, अनुपम कर्तव्य निभाया॥6॥

भावों की ये श्रेणी बढ़ती, शिखरों पर जाएँ चढ़ती।
हे ‘गदक’ धरा खुशहाली, अनशन का रंग लगाया॥7॥

लय : कैसी फुलवारी फुली---