शासनश्री साध्वी पद्मावती जी के अनशन के प्रति काव्यात्मक उद्गार

शासनश्री साध्वी पद्मावती जी के अनशन के प्रति काव्यात्मक उद्गार

अर्हम्

 साध्वी गवेषणा, साध्वी मेरुप्रभा,
साध्वी मयंकप्रभा, साध्वी दक्षप्रभा 

अनशन करना सचमुच में है साहस भरी कहानी।
तप वेदी पर शासनश्री ने, प्राणों की दी कुर्बानी॥

गुरु तुलसी के निर्देशन से, भत्तूजी से ली दीक्षा
बत्तीस वर्ष सहवास मिला, जीवन की हुई समीक्षा
व्यक्‍तित्व निखारा अपना, प्रतिभा सबने पहचानी
तप वेदी----

श्रमशीला अति स्वाध्यायी, कर्मठ व सेवाभावी
दाठिकता कला कुशल है, व्यक्‍तित्व रहा परभावी
हिम्मत के हाथी पूरे, रजपूती सी मर्दानी
तप वेदी----

बहत्तर वर्ष तक संयम पाला, निर्मल निज साधुचर्या
दिनचर्या निर्मल नियमित, नियमित सारी निश्‍चर्या
संकल्प और जप आदि, बन गए सहज वरदानी
तप वेदी----

चौविहार दस दिन के तप पर, अनशन का कलश चढ़ाया
गेलड़ा संचेती कुल का गौरव, शासनश्री ने खूब बढ़ाया
सौ-सौ दे साधुवाद हम, कैसी आत्मिक मस्तानी
तप वेदी----

कर्नाटक गदग भूमि पर, परचम का झंडा फहराया
महाश्रमण वरतारै में, दक्षिण में नव इतिहास रचाया।
करे मंगलकामना सहवर्ती, जीवन बने अमर निशानी
तप वेदी----

लय : ए मेरे वतन के----