शासनश्री साध्वी पद्मावती जी के अनशन के प्रति काव्यात्मक उद्गार
अर्हम
साध्वी मंजुयशा
महिमा अणसण री---3
थांरी बणगी अजब कहाणी, युग-युग री आ अमर निशाणी
शासनश्री किण स्यूं अगजाणी॥ध्रुव॥
भत्तुजी कर पाई दीक्षा, नगीना जीं स्यूं पाई शिक्षा,
तुलसी गुरुवर करी समीक्षा॥ महिमा अणसण---
सहज-सरलता समता भारी, पद्मावती जी हिम्मत धारी,
थांरी जावां म्हैं बलिहारी॥ महिमा---
ढलती वय में शौर्य जगायो, तप स्यूं जीवन ओ चमकायो,
अणसण रो उपवन लहरायो॥ महिमा---
किण विध आई आ मजबूती, थे तो छेड्यो रण रजपूती,
चमकी तप स्यूं आत्म विभूती॥ महिमा---
तीनुं गुरुवां री किरपा पाई, संघ री गरिमा घणी बढ़ाई।
थांरी जागी आ पुण्याई॥ महिमा---
थांरो अणसण सुण चकरावै, मृत्यु कला सबने सिखलावै,
जगमग जीवन ज्योत जलावै॥ महिमा---
गवेषणा जी साझ दिरायो, मेरु मयंक जी साथ निभायो,
दक्ष प्रभा जी अवसर पायो॥ महिमा---
भावां री श्रेणी चढ़ती जावै, मंजिल स्वयं निकट चल आवै,
ई दृढ़ता ने शीष झुकावै॥ महिमा---
लय : धरती धोरा री---