शासनश्री साध्वी पद्मावती जी के अनशन के प्रति काव्यात्मक उद्गार
अर्हम्
साध्वी कनकरेखा
शासनश्री साध्वी पद्मावती जी जीवन धन्य बणायो,
चढ़ते भावां अनशन पचख्यो शासन कुरब बढ़ायो।
भिक्षु शासन की जयकार, बोलो महाश्रमण जयकार॥
खानदेश रो क्षेत्र सुरंगों शहादा साताकारी,
संचेती और गेलड़ा परिवार दोन्यु हैं संस्कारी।
शासनश्री भत्तुजी स्यूं, संयम रत्न थे पायो॥
सहज सरलता जागरूकता सेवा का गुण भारी,
कंचन सम जीवन चमकायो खिल गई संयम क्यारी।
कर्नाटक की गदग धरा पर अनशन दीप जलायो॥
गुरुवर की अनुपम-अनुकंपा अनशन योग मिल्यो है,
गुरु-तुलसी की पुण्य-तिथि पर अंतिम स्वप्न फल्यो है।
आत्मा भिन्न शरीर भिन्न है जीवन सूत्र बणायो॥
जाप-ध्यान, स्वाध्याय सुधा की अमृत धार बहाई,
संघ-संघपति पूर्ण समर्पित शासन शान बढ़ाई।
लय गुरुवांरी असीम कृपा, नव इतिहास रचायो॥
खाता-पीता संथारो करणों है काम करारो,
नश्वर तन स्यूं मुखड़ो मोड्यो धर्यो ध्यान आत्मा रो।
मन मजबूती देख आपरी, सबरो मन चकरायो॥
(कनक, गुण विनीत, केवल, संवर मन हरसायो)॥
लय : माईने माई---