शासनश्री साध्वी पद्मावती जी के अनशन के प्रति काव्यात्मक उद्गार
अर्हम्
साध्वी चंदनबाला
साहस का दिव्य नजारा।
पूर्ण स्वस्थता में क्यों तुमने चौविहार तप धारा॥
ॠजुता मृदुता सहज सरलता है विनम्रता भारी,
साध्वी भत्तू और नगीना के पथ की अनुचारी।
सामंजस्य चेतना अनुपम, जीवन निर्मल सारा॥
भत्तू कर कमलों से दीक्षा, धारी अजब तितिक्षा,
एक ठिकाने में जीवन भर, पाई अद्भुत शिक्षा।
तप जप की हो महाराधिका, फैलाया उजियारा॥
कैसे मन में आई सतिवर, छोड़ा खाना-पीना,
कैसे आई उदासीनता अच्छा लगा न जीना।
क्या भत्तू जी ने तुमको, चुपके से किया इशारा॥
घोर मनोबल साहस हिम्मत की उत्तम सहनाणी,
समता दृढ़ता आत्मशक्ति की हो तुम अजब कहानी।
विजयी बनो लक्ष्य पर अपने, दृढ़ संकल्प तुम्हारा॥
लय : संयममय जीवन---