शासनश्री साध्वी पद्मावती जी के अनशन के प्रति काव्यात्मक उद्गार
अर्हम्
साध्वी प्रबलयशा
गुरु ऊर्जा रो रंग खिल्यो, संथारो दीपायो।
अंतर गुलशन महक्यो, संथारो मनभायो॥
मनभायो रे सतीवर मनभायो।
मनभायो रे त्याग मनभायो।
गुरु ऊर्जा रो---।
चौविहार अनशन री महिमा, सगला मिलकर गावै है-3
मृत्यु ने महोत्सव बणायो,
सुर-नर शीश झुकावै है-2
शुद्ध भावां रो अभिनंदन, आत्मा ने चमकायो॥
लंबी उमर, लंबो संयम,
धन्य-धन्य सतीवर जी आप-2
खानदेश री लाड़ली ने
मैली चादर धोयी साफ-2
शहादा री शान बढ़ी, गणगौरव सुखदायो॥
प्रबल पुण्याई जागी आपरी
तप री सौरभ महकावै-2
मीठी बोली, स्नेह आपरो
भूल्यो कियां है जावै-2
सुयश फैल्यो चिहूँ ओर, गुरुकृपा रो सायो॥
सहयोगी सतियाँ के कहणो
चित्त समाधि देव जोर-2
गदक रो भी भाग्य जाग्यो,
गुरुकृपा स्यूं उजली भोर-2
मुक्ति महल पेढी, चढ्या मन हरषायो॥