शासनश्री साध्वी पद्मावती जी के अनशन के प्रति काव्यात्मक उद्गार
अर्हम्
साध्वी संपूर्णयशा
उद्यान खिल्यो मनभायो।
डाल-डाल और पात-पात पर रंग अनूठो छायो॥
मंजूजी स्यूं दीक्षित शिक्षित विचर्या देश प्रदेशां,
गुरु इंगित आज्ञा रो सतिवर राख्यो ध्यान हमेशा।
नगीनाजी री पावन सन्निधि, जीवन ने महकायो॥
लगी चेतना पौरुष जाग्यो भवसागर स्यूँ तरणो,
हर पल हर क्षण रहवै प्रवाहित, शुभ भावां रो झरणो।
ऊर्ध्वारोहण री यात्रा में, अद्भुत शौर्य दिखायो॥
कर्मशत्रु स्यूँ लोहो लेवण, सामी छावी मंडस्या,
शूरवीरता रो ओ परिचय, आत्म समर में उखया।
माटी री काया पर पावन, सोने रो कलश चढ़ायो॥
अंत समय तक भैक्षवगण में बहया रहया उपयोगी,
गवेषणा मयंक मेरू दिव्य बण्या सहयोगी।
महाश्रमण रे बरतारे में विजय ध्वज फहरायो॥
महाश्रमणी रो मंगल सायो, अनुपम दीप जलायो॥
उद्यान खिल्यो मनभायो॥
लय : संयममय जीवन हो---