शासनश्री साध्वी पद्मावती जी का देवलोकगमन
गदग
शासनश्री साध्वी पद्मावती जी का चौविहार संथारे में कर्नाटक राज्य के गदग शहर में 24 दिसंबर, 2021 को देवलोकगमन हो गया। साध्वीश्री का जन्म आषाढ़ शुक्ल एकम विक्रम संवत् 1988 शहादा में हुआ। इनके माता-पिता का नाम सिरेकंवरबाई एवं श्रद्धा निष्ठ श्रावक देवकरणजी गेलड़ा है। इनकी शादी शहादा निवासी रतनलालजी संचेती से हुई। साध्वी पद्मावती जी की दीक्षा आचार्य तुलसी के निर्देश से साध्वी भत्तुजी द्वारा कार्तिक कृष्ण सप्तमी विक्रम संवत् 2007 को धुलिया में हुई। आप साध्वी भत्तुजी के साथ 32 वर्ष एवं साध्वी नगीना जी के साथ 36 बरस रहीं। 17 जुलाई, 2017 को आपको अग्रगण्य बनाया गया एवं आचार्यश्री महाश्रमण जी ने आपको ‘शासनश्री’ अलंकरण प्रदान किया। आप मराठी, हिंदी, पंजाबी, बंगाली, गुजराती भाषा की जानकार थीं। इसके अलावा अंग्रेजी, प्राकृत, संस्कृत का भी सामान्य ज्ञान था। आपने राजस्थान, बंगाल, बिहार, असम, महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, झारखंड, पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक, तमिलनाडु एवं आंध्र प्रदेश की लगभग 90,000 किलोमीटर की पदयात्रा की। प्रतिदिन चौबीसी, आराधना, अष्टकम, आचार बोध, संस्कार बोध, भक्तामर, कल्याण मंदिर, कर्तव्य षट्त्रिशिंका, शिक्षा षण्णवति, संघ षट्त्रििंशका, आलंबन सूत्र पंचसूत्रम्, सिंदूर प्रकरणम्, शांत सुधारस भावना, बड़नगर से प्रकाशित थोकड़ा की लगभग पुस्तक कंठस्थ थी। इसके अतिरिक्त सिलाई, रंगाई, छंटाई एवं पुस्तक बाँधने की कला में आपकी दक्षता थी। प्राप्त जानकारी के अनुसार अब तक 3046 उपवास, पंद्रह बेला, चालीस तेला के अतिरिकत अनेक तपस्याएँ की हैं।
तप साधना में आप चातुर्मास में प्राय: एक बार दस प्रत्याख्यान, श्रावन-भाद्रव-एकांतर तप, महीने में 4 उपवास नियमित करते। प्रतिदिन 3 घंटा जप, दीपावली, होली, दशहरा, पौष-दशमी आदि को विशिष्ट तपयुक्त अनुष्ठान करते और प्रतिदिन तीन घंटे मौन की अवस्था में रहते। पूरी आगम बत्तीसी का परायण, प्रतिदिन 500 गाथाओं का स्वाध्याय आपकी प्रमुख साधना का क्रम था।
आपकी सेवा में सहवर्तिनी साध्वियों में साध्वी गवेषणाजी, साध्वी मेरूप्रभा जी, साध्वी मयंकप्रभा जी साथ ही साध्वी दक्षप्रभा जी का अच्छा सहयोग मिला। तेरापंथ धर्मसंघ में आपके न्यातिजनों में मुनि प्रबोध कुमार जी, शासनश्री साध्वी जिनप्रभा जी, साध्वी संवर विभाजी, साध्वी मयंकप्रभा जी साध्वी मृदुप्रभा जी, साध्वी आत्मयशा जी दीक्षित हैं।
12 दिसंबर, 2021 को गदग में चौविहार अनशन प्रारंभ किया और 22 दिसंबर, 2021 को प्रात: 10:08 पर तिविहार संथारे का प्रत्याख्यान किया। दोपहर 11:55 पर चौविहार संथारे का प्रत्याख्यान किया। 24 दिसंबर को प्रात: 6:09 पर देवलोकगमन हो गया।