साध्वी पद्मावती जी के प्रति काव्यात्मक उद्गार
मुनि चैतन्य कुमार ‘अमन’
जीवन धन्य बनाया।
अनशन व्रत के द्वारा संयम जीवन सफल हो पाया॥
साध्वी पद्मावती शासनश्री सचमुच थी शासनश्री।
संयम जीवन अनशन व्रत से बन गई थी शासनश्री।
एकादशम अनुशास्ता का पाया है उत्तम साया॥
चौविहार तप संलेखना कर संथारा स्वीकारा।
बढ़ते चढ़ते भावों से स्वीकारा पार उतारा।
धन्य तुम्हारी आत्मा सतीवर धन्य हो गई काया॥
साध्वी भत्तुजी साध्वी नगीनाजी की सहयोगी।
वर्षों तक उनके सह रहकर बनी रही उपयोगी।
अग्रणी बनकर वे भी तुमने किया काम सवाया॥
सेवा भावना ॠजुता मृदुता कलाकार सुखकारी।
अद्भुत मनोबली बन करके अपनी नैया तारी।
मुनि चैतन्य अनन्य भाव से अनुमोदन कर पाया।
मुनि चैतन्य ‘अमन’ अनुमोदन कर दिल में हरसाया॥
लय : संयममय जीवन हो---