ज्ञानपूर्वक की गई क्रिया कल्याणकारी है
राजाजीनगर
शासनश्री साध्वी कंचनप्रभा जी के सान्निध्य में भगवान पार्श्व जन्म कल्याणक महोत्सव का शुभारंभ साध्वीश्री द्वारा मंत्रोच्चार से प्रारंभ हुआ। साध्वी कंचनप्रभा जी ने कहा कि भारत की ऐतिहासिक धरा वाराणसी में माता वामादेवी महारानी की कुक्षि से 14 दिव्य स्वप्नों के साथ राजकुमार पार्श्व का आज के दिन जन्म हुआ। सहस्त्रों वर्षों पूर्व की यह घटना गरिमामय दस्तावेज है। शासनश्री साध्वी मंजुरेखा जी ने कहा कि तीर्थंकरों का जन्म त्याग, तप, संयम के साथ नई जीवनशैली प्रतिष्ठित करता है। उनकी माता रत्न कुक्षि धारिणी कहलाती है। साध्वी मंजुरेखा जी, साध्वी उदितप्रभा जी, साध्वी निर्भयप्रभा जी, साध्वी चेलनाश्री जी ने पार्श्व प्रभु की स्तुति में श्रद्धा पूरित गीत का संगान किया। तेरापंथ महिला मंडल की बहनों ने मंगलाचरण किया। ज्ञानशाला प्रशिक्षिका बबीता चोपड़ा ने बड़ी संख्या में समागत जनमेदिनी के स्वागत में विचार रखे। राजाजीनगर तेरापंथ सभा अध्यक्ष शांतिलाल पितलिया, महावीर मांडोत, सुशील मांडोत, उत्तम गन्ना, पद्मा चोपड़ा आदि उपस्थित थे। मनोहर लाल चावत ने बेले तप का प्रत्याख्यान किए। अनेक भाई-बहनों ने उपवास एकासन, चरम प्रत्याख्यान स्वीकार किए। साध्वीश्री जी ने कार्यक्रम के पूर्व उपसर्गहर स्तोत्र तथा विशेष मंत्र जपानुष्ठान करवाया।