मानवता के सजग प्रहरी आचार्यश्री तुलसी का दीक्षा दिवस
भीलवाड़ा
शासनश्री मुनि हर्षलाल जी, मुनि राजकुमार जी, मुनि कुलदीप कुमार जी के सान्निध्य में जयाचार्य भवन में आचार्यश्री तुलसी का 96वाँ दीक्षा दिवस मनाया गया। शासनश्री मुनि हर्षलाल जी ने आचार्यश्री तुलसी का स्मरण करते हुए कहा कि वे एक तेजस्वी आचार्य थे। उन्होंने वि0सं0 1982 में 11 वर्ष की लघुवय में अपनी बहन लाडांजी के साथ अष्टम् आचार्य कालुगणी से संयम जीवन स्वीकार किया। 22 वर्ष की अवस्था में आचार्य बनकर उन्होंने तेरापंथ धर्मसंघ का चहुँदिशा में विकास किया। उनका व्यक्तित्व आकर्षक था। ऐसे साधना संपन्न आचार्यश्री तुलसी के गुणों के बारे में जितना कहा जाए कम है। मुनि राजकुमार जी ने तुलसी को समर्पित गीत का संगान करते हुए कहा कि आचार्य तुलसी द्वारा प्रदत्त अवदानों की गूँज वर्षों-वर्षों तक इस धरती पर गुंजायमान होती रहेगी। वे एक अनुशासन व व्यवस्थाप्रिय आचर्य थे। मुनि कुलदीप कुमार जी ने आचार्यश्री तुलसी का पुण्य स्मरण किया और दीक्षा के समय का तात्कालीन घटना प्रसंग बताते हुए कहा कि आचार्यश्री तुलसी को कालूगणी ने गढ़ा और श्री तुलसी ने धर्मसंघ को अनेक विशेषताओं से भरा। आचार्यश्री तुलसी ने जो जीवन जीया वो सबके लिए प्रेरणा बन गया। कार्यक्रम के संयोजकीय वक्तव्य देते हुए मुनि आनंद कुमार जी ‘कालू’ ने कहा कि आचार्यश्री तुलसी ने युग को अणुव्रत, प्रेक्षाध्यान, जीवन-विज्ञान जैसे अनगिनत अवदान दिए जो आज भी पूरे विश्व के लिए प्रासंगिक हैं। नीचकेता मुनि अनुशासन कुमार जी ने आचार्यश्री तुलसी के कर्तृत्व को व्याख्यायित करते हुए गीत का सुमधुर संगान किया। खुशी चोरड़िया ने तुलसी अष्टकम द्वारा कार्यक्रम का मंगलाचरण किया। बाल गायक दक्ष बड़ोला ने गीत की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में श्रावक समाज की अच्छी उपस्थिति रही।