हमारा परस्पर विनय समर्पण भाव सबके लिए प्रेरणा है
बैंगलोर
जैन स्थानक चामराजपेट में विराजित शासनश्री साध्वी कंचनप्रभा जी के दर्शनार्थ पधारी साध्वी सिद्धांतश्री जी एवं साध्वी दर्शितप्रभा जी साध्वियों के परस्पर विनयपूर्वक वंदना व्यवहार के साथ मिलन को देख सभी भाई-बहन रोमांचित थे। तेरापंथ धर्मसंघ का यह एक प्रेरक दृश्य है कि चातुर्मास समाप्ति के बाद साधु-साध्वियाँ दीक्षा ज्येष्ठ चारित्रात्माओं से मिलते हैं तथा संवत्सरी संबंधी खमतखामणा करते हैं। शासनश्री साध्वी मंजुरेखा जी, साध्वी उदितप्रभा जी, साध्वी निर्भयप्रभा जी एवं साध्वी चेलनाश्री जी ने सुमधुर स्वर लहरी में दोनों साध्वियों का स्वागत
किया तथा सुख-पृच्छा के साथ प्रसन्नता व्यक्त की। शासनश्री साध्वी कंचनप्रभा जी ने कहा कि साध्वी लावण्यश्री जी की गुणवत्ता है कि उन्होंने स्वयं के स्वास्थ्य की अनुकूलता न होते हुए भी दो साध्वियों को हमारे से मिलने भेजा। यह हमारी पावन परंपरा है। हमारे विनय, समर्पण तथा सौहार्द भाव को देखकर श्रावक समाज भी प्रेरणा लेते हैं। शासनश्री साध्वी मंजुरेखा जी ने कहा कि तेरापंथ धर्मसंघ में साधु-साध्वियों के चातुर्मास महानगरों के उपनगरों में कभी-कभी एक साथ होते हैं। मगर विनय व्यवहार साध्वियों की निजी संपत्ति होती है। उससे ही परस्पर वात्सल्य व सौहार्द संघीय चेतना को प्रवर्द्धमान करते हैं। साध्वी सिद्धांतश्री जी ने एवं साध्वी दर्शितप्रभा जी ने गीत का संगान किया। साध्वी सिद्धांतश्री जी ने कहा कि बहुत दिनों के बाद आपके दर्शनों की भावना फलीभूत हुई। आपके जीवन से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। साध्वी लावण्यश्री जी ने हमें आपके पास भेजा, ऐसा मौका बार-बार मिलता रहे। ज्ञानशाला प्रशिक्षिका बबीता चोपड़ा, पद्मा चोपड़ा, बबीता धारीवाल एवं गांधीनगर सभा के कोषाध्यक्ष बाबूलाल बाफना, जितेंद्र घोषल, केवल चंद रूपचंद देसरला, मनोज आदि उपस्थित थे।