साध्वी करुणाश्री जी के प्रति भावांजलियाँ
अर्हम्
साध्वी संवेगश्री
तुम कितनी प्यारी थी,
जन मनहारी थी,
छोड़ के चले गए॥ सतिवर-4
भैक्षव शासन नंदनवन है-2
इस बगियाँ में खिलने वाला हर पौधा चंदन है।
इसकी शीतलता, इसकी कोमलता, तेरे साथी थी॥
जैसा था नाम तेरा, गुण भी था वैसा-2
जीवन तेरा देता हमको रोज नया संदेशा।
याद तेरी आती है, स्मृति सरसाती है, पल-पल छिन-छिन में॥
अजब गजब थी तेरी पुनवानी-2
सबके मन को हर लेती थी तेरी मीठी वाणी,
तेरी समता का, हो तेरी ममता का, गौरव गाएँ हम॥
मंत्रों की तुम बड़ी विज्ञाता-2
मंगलपाठ सुनाती सुनकर व्यक्ति तेरा बन जाता।
उसकी शक्ति से, मन की भक्ति से, सबको सिद्धि मिली॥
शासन गौरव का अनुपम साया-2
जीवनभर तुमने उसका साथ निभाया।
अब क्यों छोड़ गए, मुखड़ा मोड़ गए, कुछ बतलाओ ना॥
नोखा हमारा बड़ा ही अनोखा-2
सेवा में अपना इसने नाम किया है चोखा।
करते वंदन हैं, हम अभिनंदन हैं॥
बाजी जीत गए॥
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