जो दानमात्र में धर्म कहता है वह जैनधर्म की शैली को नहीं समझ पाया। वह अज्ञानी मनुष्य गाय और आक के दूध को एक साथ मिला रहा है। - आचार्य श्री भिक्षु
जो दानमात्र में धर्म कहता है वह जैनधर्म की शैली को नहीं समझ पाया। वह अज्ञानी मनुष्य गाय और आक के दूध को एक साथ मिला रहा है।