साध्वीप्रमुखाश्री कनकप्रभाजी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य म
आई नई भोर है---
साध्वी अनुप्रेक्षाश्री
आई नई भोर है, हर्ष हिलोर है
खूब बंधावा थांनै, सारा भाव विभोर है,
अमृत महोत्सव री चर्चा, बणी विख्यात है
जीवन रे पन्ने-पन्ने पर बी सी ही ख्यात है
महिमा स्यूं मंडित अक्षर, अक्षर जोर है।
आई नई भोर है----
प्रमुखाजी री इकसरखी, मिलै ठंडी छाया
म्हां सरीखा है कित्ता, ज्यारा भाग सवाया
आं चरणा में म्हैं तो, म्हारी आ ही ठौर है।
स्वर्णिम भोर है, हर्ष हिलोर है----
वर्धापना में गूँजे, देखो स्वर हजारां
अनगिन उपकारास्यूं, श्रद्धानत सारा
महरनजर में भीगै, म्हांरा पोर पोर है।
स्वर्णिम भोर है हर्ष हिलोर है----
अद्भुत विलक्षण बणग्यो, ओ तो जीवन सारो
तुलसी प्रभु री कृति नै, घालां थुथकारो
गुरुवर री इं करुणा रो, नहीं ओर छोर है।
आई नई भोर है हर्ष हिलोर है----
लय : बाबो अलबेलो---