तुम गण की हो उजली तस्वीर

तुम गण की हो उजली तस्वीर

साध्वी संयमलता 

उस महासूर्य की महारश्मि का करते हैं हम अभिनंदन।
अमृत उत्सव महाश्रमणीवरा का गण के कण-कण में पुलकन।
कुशल पारखी गुरु तुलसी की नजरों का ये सफल वचन।
है उपकार अनंत संघ को दिया दमकता नारी रतन
हम कितने हैं सौभागी, मिली ममतामयी माँ सागी।
जागी है हम सब की तकदीर।
तेरे चरणों की अनुरागी, माँ तुमसे ही लय लागी।
तुम गण की हो उजली तस्वीर॥

वह चंदेरी की पुण्यधरा जहाँ हीरों की इक खान मिली।
उस खान से कनकप्रभा जैसी अनुपम इक हीरकणी निकली।
उस हीरकणी की आभा से आलोकित महिला जगत हुआ।
पाकर सक्षम आश्‍वासन साध्वी समुदय ने शिखरों को छुआ।
हम कितने हैं---

तुम ज्ञानमयी विज्ञानमयी कल्याणमयी महादेवी हो।
साहित्यकार हो कुशल लेखिका स्वाध्यायप्रिया श्रुतदेवी हो।
देख तेरा संपादन कौशल विद्वदजन चकरा जाए।
गुण आकर सतिशेखरे एक जुबां से क्या गरिमा गाएँ।
अद्भुत तेरी गुरुभक्‍ति, तुम गण की हो महाशक्‍ति।
जागी है हम सबकी तकदीर॥

इस स्नेहिल आंचल तले हमने जो खुशियाँ पाई हैं।
करती है गुजारिश खुदा री बर्थ हो फिर से मिले ये माई है।
तुम रहो निरामय कल्याणी हम देखे चयन सदी अवसर।
हर दिल की है आवाज रहे मिलता ये सुखद साया हरपल।
प्रमुखा असाधारण, फरमाते गुरु महाश्रमण।
जागी है हम सबकी तकदीर॥

लय : तेरी मिट्टी मे मिल जावां