साध्वी करुणाश्री जी की स्मृति सभा
नोखा
तेरापंथ धर्मसंघ की वरिष्ठ शासनश्री साध्वी करुणाश्री जी के देवलोकगमन के बाद स्मृति सभा में शासन गौरव साध्वी राजीमती जी ने कहा कि दीर्घ 58 वर्ष की संयम सुखद प्रारंभ से गुरुदेव तुलसी ने मुझे सौंपा। हँसमुख तेजोमय चेहरा, मृदु मुस्कान वाली पुरुषार्थी साध्वी थी। नवकार मंत्र की प्रतिदिन माला व मंत्र सिद्धस्त जीवन बेदाग रहा। भीतर से स्वस्थ्य, सेवाभावी, क्षमतावान, मर्यादा-अनुशासन की जीती-जागती ज्योत थी। संयोग-वियोग नियति है। उनकी कमी खलती है। पुण्यवान का भाग्यवान हलुकर्मी साध्वी महान थी।
साध्वी समताश्री जी, साध्वी संवेगश्री जी, साध्वी कुसुमप्रभा जी, साध्वी पुलकितयशा जी, साध्वी प्रभातप्रभा जी, साध्वी मर्यादाप्रभा जी ने सामुहिक भावपूर्ण श्रद्धांजलि गीत का संगान किया।
संसारपक्षीय भाई सुशील कुमार ने परिवार की शोभा और महान व्यक्तित्व की धनी विरल साधिका बताया। कुसुम देवी आंचलिया, भरत आंचलिया ने साध्वी करुणाश्री जी को मंत्र सिद्धि साधिका, पवित्रता की पर्याय बताया, श्रद्धा भाव रखे।
सभा अध्यक्ष हनुमानमल ललवानी, मंत्री इंद्रचंद बैद, गोपाल लुणावत, लाभचंद छाजेड़, दिलीप बैद, उपासक अनुराग बैद, सुनील बैद, तेयुप अध्यक्ष रूपचद बैद, कन्या मंडल संयोजिका स्नेहलता चोरड़िया, सुमन मरोठी, महिला मंडल अध्यक्षा कुसुम छाजेड़, मंत्री मंजु बैद, महावीर मालू आदि अनेक वक्ताओं ने साध्वी करुणाश्री जी को आत्मार्थी, संयमी और सहजता, सरलता की प्रतिमूर्ति बताया और श्रद्धांजलि भावना अर्पित की।
महाश्रमणी साध्वीप्रमुखाश्री कनकप्रभाजी का मंगल संदेश, मुख्य न्यासी महासभा कोलकाता से भंवरलाल बैद का पत्र, पदमचंद पटावरी का पत्र और साध्वी यशोमती जी, साध्वी परमयशा जी, साध्वी कनकश्री जी आदि के पत्रों द्वारा श्रद्धा भक्ति भावांजलि पढ़कर सुनाई गई। अंत में चार लोगस्स का ध्यान करके श्रद्धांजलि अर्पित की। संचालन साध्वी कुसुमप्रभा जी ने किया।