व्यक्ति आकृति से नहीं आचरण से महान बनता है : आचार्यश्री महाश्रमण
डीडवाना, 13 जनवरी, 2022
जिन शासन के उज्ज्वल नक्षत्र आचार्यश्री महाश्रमण जी ससंघ 8 किलोमीटर विहार कर अहिंसा यात्रा के साथ डीडवाना पधारे। पूज्यप्रवर ने मंगल देशना प्रदान करते हुए फरमाया कि आदमी के द्वारा कभी-कभी गलती हो सकती है। जो सामान्य आदमी है, छद्मस्थ भी है और छद्मस्थ भी नीचे की श्रेणी का है और गृहस्थ है। इनसे अनेक गलतियाँ हो सकती हैं। परंतु गलतियों का परिस्कार करने का प्रयास होना चाहिए।
गलती बड़े आदमी से भी हो सकती है। कोई कद से बड़ा है, कोई पद से बड़ा है। यह सापेक्ष बात है। आदमी आकृति से महान या नीचा नहीं होता, प्रवृत्ति से होता है। आचरण से बड़ा होता है। वह कसौटी है, बड़प्पन और लघुता की। पेड़ फलवान होता है, तो झुक जाता है। सूखा ठूँठ और अविनम्र आदमी झुकते नहीं हैं। हर जगह झुकना भी नहीं चाहिए। स्थिति देखकर झुकें।
गुरु के सामने झुकने से आनंद होता है। जो पूजनीय है, उनके सामने झुकने में क्या संकोच। क्षमाशीलता, सहिष्णुता भी अच्छा है। गम भी आदमी खा जाए। क्षमा जिसके जीवन में है, वह बड़ा आदमी है। क्षमाशीलता बड़ी चीज है, यह एक प्रसंग से समझाया कि गुस्सा काम का नहीं, क्षमा, सहनशीलता रहे।
प्रभु के प्रति वास्तविक भक्ति हो यह भी एक प्रसंग से समझाया कि जिसका स्वभाव बड़ा है, वह बड़ा आदमी होता है। हम अहिंसा यात्रा के साथ डीडवाना आए हैं। डीडवाना बड़ा अच्छा क्षेत्र है। डीडवाना के विभिन्न समाज के लोगों से हमारा संपर्क हुआ। सद्भावना, नैतिकता, नशामुक्तिइन तीन चीजों को हम प्रसार कर रहे हैं। अणुव्रत से मिलते-जुलते हैं। अजैन हो या जैन, आदमी गुडमैन बने। आदमी में अच्छे संस्कार आएँ। हमें चाहे पद मिले न मिले, उच्च गुणवत्ता हमारे में आए। यह काम्य है।
अपने ननिहाल और जन्मभूमि में अपने आराध्य के अभिनंदन ने मुनि गौरवकुमारजी ने भी अपनी श्रद्धाभिव्यक्ति अर्पित की तो आचार्यश्री ने उन्हें पावन आशीष प्रदान करते हुए कहा कि मुनि गौरव का गौरव निरंतर बढ़ता रहे। लंबे-लंबे विहार कर गुरुदर्शन को पहुँचे मुनि राजकुमारजी व मुनि अनुशासनकुमारजी ने भी अपनी श्रद्धाभिव्यक्ति पूज्यचरणों में अर्पित कर पावन आशीर्वाद प्राप्त किया। इसी प्रकार बर्हिविहार से गुरुकुलवास में पहुँची साध्वी प्रबलयशाजी आदि साध्वियों ने आचार्यश्री के समक्ष अपनी हर्षाभिव्यक्ति दी तो आचार्यश्री ने उन्हें भी मंगल आशीष प्रदान की।
आचार्यश्री के स्वागत में तेरापंथ महिला मंडल, तेरापंथ कन्या मंडल, तेरापंथी सभा, कुलदीप मुणोत व दीपाली लुणिया ने पृथक्-पृथक् गीत का संगान कर अपने आराध्य की अभिवंदना की। व्यवस्था समिति-डीडवाना के अध्यक्ष सुरेश चोपड़ा, सुरेश घोड़ावत, अग्रवाल समाज के मंत्री नितेश बाजारी, धर्मेन्द्र महनोत तथा मुनि गौरवकुमारजी की संसारपक्षीया माता सुनीता कोठारी ने भी अपनी हर्षाभिव्यक्ति दी। डीडवाना जैन समाज के बच्चों ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति के माध्यम से अपने गुरुदेव की अभिवंदना की।
डीडवाना के विधायक चेतन डूडी व स्थानीय नगरपालिका अध्यक्ष रचना होलानी ने आचार्यश्री के दर्शन कर डीडवाना की ओर से अभिनंदन पत्र श्रीचरणों में समर्पित किए। अग्रवाल समाज ने भी पूज्यचरणों में अभिनंदन पत्र समर्पित कर पावन आशीर्वाद प्राप्त किया। इसके पूर्व आचार्यश्री डीडवाना स्थित बांगड़ कन्या महाविद्यालय में पधारे। जहाँ आचार्यश्री से आशीर्वाद प्राप्त कर राजस्थान सरकार के पूर्व मंत्री युनूस खान व महाविद्यालय के प्रबंधक आदि ने महाविद्यालय के एक ऑडिटोरियम का नाम आचार्यश्री महाश्रमण ऑडिटोरियम करने की घोषणा की।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए मुनि दिनेश कुमार जी ने बताया कि हम कद-पद से नहीं, विकास की ओर आगे बढ़ें, बड़े बनें।