पूज्यप्रवर का थली संभाग में पदार्पण आदमी परिमितभाषी रहे : आचार्यश्री महाश्रमण
सुजानगढ़, 31 जनवरी, 2022
युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण जी तेरापंथ की राजधानी लाडनूं में 16 दिवसीय प्रवास संपन्न कर मंगल विहार कर सुजानगढ़ पधारे। मुख्य प्रवचन में आचार्यश्री महाश्रमण जी ने मंगल प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए फरमाया कि शास्त्र में बताया गया है कि आदमी बिना पूछे बिना मतलब ना बोले। बोलना हमारे जीवन का, व्यवहार का एक अंग भी है, परंतु कब बोलना, कब नहीं बोलना, कितना बोलना, कैसे बोलना, क्या बोलना, क्या नहीं बोलना ये ऐसे कुछ प्रश्न हैं, जिन पर ध्यान देने से हमारी वाणी अच्छी हो सकती है। आदमी परिमितभाषी रहे। मितभाषिता, परिमितभाषिता जीवन का एक गुण है। ऐसा होने से आदमी की भाषा अच्छी बन सकती है।
आदमी बोले तो झूठ नहीं बोले। ये सात साध्वियाँ हैं, इनको 24 जनवरी को जैन विश्व भारती में दीक्षा दी थी। आज इनकी बड़ी दीक्षा है। सिद्धांत की भाषा में छेदोपस्थापनीय चारित्र कहते हैं। साधु के पाँच महाव्रत होते हैं। गृहस्थों के लिए अणुव्रत होते हैं। ये पाँच महाव्रत बड़े नियम हैं। अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह। पाँच महाव्रत व रात्रि भोजन विरमण को विस्तार से समझाया। साधु माँगकर क्यों खाए, ये एक चिंतन हो सकता है। साधु के लिए माँगना बुरी बात नहीं है, क्योंकि साधु तो त्यागी है। गृहस्थी के लिए माँगना बुरी बात हो सकती है। साधु अकिंचन है, उसने घर-बार छोड़ दिया है, उसे अधिकार है कि वह भिक्षा के द्वारा प्राप्त कर सकता है। यह त्याग-संयम है। कल की चिंता नहीं। साधु अहिंसा का पालन करता है, कोई दोष लग जाए तो प्रायश्चित ले ले। साधु पद यात्रा करे, देख-देखकर चले। हम लोग अभी अहिंसा यात्रा कर रहे हैं। आज इस यात्रा में लंबे अरसे के बाद सुजानगढ़ आना हुआ है। गुरुदेव तुलसी ने यहाँ नया काम किया था कि अपनी मौजूदगी में युवाचार्य महाप्रज्ञ जी को आचार्य बना दिया था। आज थली क्षेत्र में हमारा आना हुआ है। छठे आचार्य पुण्य माणकगणी का महाप्रयाण यहीं हुआ था। सुजानगढ़ हमारे अनेक ऐतिहासिक प्रसंगों से भी जुड़ा हुआ है। अनेक गणमान्य व्यक्तियों से मिलना हुआ है। थली में नैतिकता-नशामुक्ति और सद्भावना की चेतना पुष्ट रहे। मंगलकामना।
पूज्यप्रवर की अभिवंदना में स्थानीय विधायक मनोज मेघवाल रतनगढ़ के विधायक अभिनेष महर्षि, चुरु के विधायक राजेंद्र राठौड़, भाजपा के राजस्थान के अध्यक्ष सतीश पूनिया ने थली प्रदेश में पदार्पण पर अपनी भावना अभिव्यक्त की। आभार सभाध्यक्ष धर्मेंद्र चोरड़िया ने किया। थली प्रदेश के अन्य वर्तमान व पूर्व विधायक भी पूज्यप्रवर की सन्निधि में पधारे। विकास परिषद के संयोजक मांगीलाल सेठिया ने भी पूज्यप्रवर की अभ्यर्थना में अपनी भावना की अभिव्यक्ति दी। स्थानीय सभा द्वारा गणमान्य व्यक्तियों का साहित्य से सम्मान किया गया।
नवदीक्षित साध्वियों ने गीत के माध्यम से अपनी भावना श्रीचरणों में अभिव्यक्त की। संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।