स्वर्ण-जयती चयन-दिवस की
साध्वी समत्वयशा
स्वर्ण जयंती चयन दिवस की, गण में खुशी मनाएँ।
अष्टम साध्वी प्रमुखाश्रीजी, नव इतिहास रचाएँ॥
उत्सव के इस पावन-पल पर, आरती आज उतारें।
रचकर स्वस्तिक मंगल-मंगल, तेरे चरण पखारें।
संघ-समूचा हर्षित, पुलकित, गौरव-गाथा गाएँ॥
चंदेरी के चाँद की हर कला निखरी-निखरी।
कला से कनकप्रभा छनकर, गण-गुलशन मे तुम उभरी।
आधी दुनिया तेरे सहारे, नूतन शक्ति पाएँ॥
ऊँची-उड़ान भरें गण-नभ में, छोटी-छोटी सतियाँ।
तेरी नेहिल-नजरों को पा, खिल गई सारी कलियाँ।
वत्सलता के महासागर में, डुबकी रोज लगाएँ॥
अमृत महोत्सव, अमृत सन्निधि, अमृत-पान कराएँ।
एक झलक तेरी पाने को, दौड़े-दौड़े आए।
कुछ प्यासे-पंछी दूरी से, मन के भाव सुनाएँ॥
पा आशीर्वर महाश्रमणीवर! भाग्यलता विकसाएँ॥
लय : जनम-जनम का---