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शासनश्री साध्वी करुणाश्रीजी का देवलोकगमन
नोखा
शासनश्री साध्वी करुणाश्री जी का जन्म संवत् 1999 माघ शुक्ला-6 को सुजानगढ़ में हुआ। साध्वीश्री का जन्म का नाम कमला कुमारी था। आपके पिता चंपालाल एवं माता का नाम सोहनी देवी बोथरा था।
आपकी दीक्षा संवत् 2020 पौष शुक्ला-10, आचार्यश्री तुलसी द्वारा सुजानगढ़ में हुई।
वैराग्य : पारमार्थिक शिक्षण संस्था काल डेढ साल।
आपने दशवैकालिक, नंदी, बृहत्कल्प। पच्चीस बोल, आदि 15 धोकड़े। कालु कौमुदी, जैन सिद्धांत दीपिका, भिक्षु न्याय कर्णिका, मनोनुशासन, षड्दर्शन समुच्चय, भक्तामर, कल्याणक मंदिर, शांत सुधारस, कर्तव्यषट्त्रिशिका, शिक्षाषण्णरति, देवगुरु स्त्रोत। चौबीसी, आराधना, शील की नौ बाड़, 22 परीषहों की ढालें, आचार बोध, संस्कार बोध, व्यवहार बोध तथा अग्नि परीक्षा आदि कई व्याख्यान कंठस्थ हैं।
आप प्राय: सभी आगम एवं योग आदि अन्य साहित्य का वाचन करती थीं। आपने योग्यतर परीक्षा उत्तीर्ण की। आपने उपवास, 2, 3, 5, 8, लगभग 700, 6, 7, 1, 1, तपस्याएँ कीं।
बहिर्विहार : दीक्षा लेने के बाद अब तक साध्वी राजीमती जी (रतनगढ़) के सिंघाड़े में रही। आपने अनेक सुदूर प्रांतों की यात्राएँ कीं।
आपको ‘शासनश्री’ अलंकरण संवत् 2073, माघ शुक्ला-7 को आचार्यश्री महाश्रमण जी द्वारा सिलीगुड़ी में दिया गया।
साध्वी करुणाश्री जी ज्येष्ठ शुक्ला पंचमी, रात्रि 2:37 मिनिट लगभग 16 मिनिट पर चौविहार अनशन का प्रत्याख्यान कर देवलोकगमन सिधार गईं। 11:15 बजे सागरी अनशन का प्रत्याख्यान करवाया गया।