मर्यादाएँ  बंधन नहीं, बल्कि बंधन से मुक्‍ति देती हैं

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मर्यादाएँ  बंधन नहीं, बल्कि बंधन से मुक्‍ति देती हैं

जोधपुर
अमरनगर के तेरापंथ भवन में आयोजित 158वें मर्यादा महोत्सव समारोह को संबोधित करते हुए मुनि तत्त्व रुचि ‘तरुण’ ने कहा कि अनुशासन के लिए जीवन अपने अहंकार और ममकार का विसर्जन जरूरी है। वास्तव में अहंकार-ममकार विसर्जन का नाम ही तेरापंथ है। तेरापंथ के संस्थापक आचार्य भिक्षु ने मर्यादाओं का निर्माण संगठन में समता, साधना एवं सुव्यवस्था के लिए किया था। मुनि संभव कुमार जी ने मर्यादाओं को संगठन का आधार बताते हुए कहा कि मर्यादा की बुनियाद पर टिका संगठन ही संघ और समाज के लिए हितकर होता है। मर्यादा और अनुशासन विकास में बाधक नहीं बल्कि साधक है। उन्होंने कहा कि मर्यादाएँ बंधन नहीं वे तो बंधन से मुक्‍ति दिलाने वाली होती हैं। इस अवसर पर तेरापंथ सभा अध्यक्ष माणक तातेड़, महिला मंडल अध्यक्ष सरिता कांकरिया, मंत्री चंद्रा जीरावला, तेयुप अध्यक्ष महावीर चौधरी, अणुव्रत समिति अध्यक्ष सुधा भंसाली, विजय सिंह नाहटा, वरिष्ठ श्रावक जगदीश धारीवाल आदि ने मर्यादा के संदर्भ में अपने विचार प्रस्तुत किए। पूर्व सभाध्यक्ष उम्मेदमल सिंघवी ने श्रावक निष्ठा पत्र का वाचन किया। कार्यक्रम का प्रारंभ महिला मंडल के सामुहिक गीत के संगान से हुआ। मंत्री चंद्रा जीरावाला ने आगामी कार्यक्रम की जानकारी दी।