साधनों से सुविधा मिल सकती है परंतु शांति तो संयम से मिलती है : आचार्यश्री महाश्रमण
आबसर, 19 फरवरी, 2022
जन-जन को कल्याण का मार्ग दिखाने वाले जगत कल्याणक आचार्यश्री महाश्रमण जी 16 किलोमीटर का विहार कर आबसर स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय पधारे। विद्यालय परिसर में अध्यात्म के महासागर आचार्यश्री महाश्रमण जी ने प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए फरमाया कि आदमी शांति से जीना चाहता है। प्रश्न हैजीवन में शांति कैसे रह सकती है? दो चीजें हैं, एक हैशांति। दूसरी हैसुविधा। शांति का संबंध ज्यादा हमारे भीतर से है। सुविधा बाहर से मिलती है। बाह्य साधनों से सुविधा मिल सकती है, पर शांति नहीं। शांति साधना से मिलती है। अध्यात्म की साधना से मानसिक शांति प्राप्त होती है। धर्म के द्वारा शांति प्रदान की जा सकती है। सुविधा मिल जाए ये जरूरी नहीं। सुविधा न मिलने पर भी साधु बड़ी शांति में रह सकता है। आत्मिक आनंद में रह सकता है। वो आनंद गृहस्थों को नहीं मिल सकता यह एक दृष्टांत से समझाया कि कठोर जीवन फिर भी शांति, ऐसा कैसे? प्रसन्नता-शांति तो भीतर से होती है वो तपस्या-त्याग से प्राप्त होती है। साधु को कल की चिंता नहीं। साधु के त्याग है, वे वर्तमान में जीना जानते हैं। न अतीत का भार न भविष्य की चिंता। संतोष-संयम का जीवन जीने वाले हैं। साधनों से सुविधा मिल सकती है। शांति तो त्याग-संयम से मिल सकती है। बच्चों में भी अच्छे संस्कार आ जाएँ। जीवन में ईमानदारी, मैत्री, अहिंसा, नैतिकता, विनम्रता ऐसे संस्कार जीवन में आ जाएँ तो बच्चे अच्छे बन सकते हैं। नशा नहीं करना। सादगी का जीवन शांति से जी सकते हैं। गृहस्थ के जीवन में भी संयम-सादगी हो। बच्चों को स्कूल में अनेक विषयों के साथ अध्यात्म की विद्या-शिक्षा भी मिले। जीवन अच्छा जी सकें वो शिक्षा मिले। प्रयास करने से सफलता मिल सकती है। ज्ञान भी अच्छा हो तो बच्चों का जीवन अच्छा हो सकता है। हम लोग अहिंसा यात्रा कर रहे हैं। अहिंसा यात्रा के तीन उद्देश्यों को समझाकर स्थानीय लोगों व स्कूल के विद्यार्थियों को स्वीकार करवाए। पूज्यप्रवर के स्वागत में विद्यालय भागीरथ, गिरधारी, तिलोक ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। कार्यक्रम का संचालन करते हुए मुनि दिनेश कुमार जी ने स्कूल के विद्यार्थियों को समझाया कि सत्संग का कितना महत्त्व है।