आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी के 102वें जन्म दिवस समारोह के आयोजन
रोहिणी, दिल्ली
तेरापंथ भवन में समायोजित जन्म दिवस का शुभारंभ साध्वी कार्तिकप्रभा जी, साध्वी चिंतनप्रभा जी द्वारा सम्मुच्चारित ‘महाप्रज्ञ अष्टकम’ दस पद्यों से हुआ। शासनश्री रतनश्री जी ने कहा कि महाप्रज्ञ व्यक्ति नहीं विचार थे। भारतीय संस्कृति के प्रतिनिधि पुरुष थे। उच्च कोटि के दार्शनिक, लेखक, वक्ता और प्रखर चिंतक थे। आपने अपनी लेखनी से 300 पुस्तकों का लेखन किया। जिनको पढ़ने के लिए भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेयी उत्कंठित रहते थे। आप अतीन्द्रिय ज्ञान के धनी थे। प्रत्येक प्रश्न समुचित समाधान अपनी प्रांजल प्रज्ञा से देते थे।
साध्वी सुव्रता जी ने कहा कि आपके पास अध्यात्म का ओज था। संयम की अनुत्तर संपदा से संपन्न थे। आप कालजयी व्यक्तित्व के धनी थे।
साध्वी सुमनप्रभा जी ने एक प्रेरक एवं भावपूर्ण कविता के माध्यम से महाप्रज्ञ अभिवंदना की। साध्वी कार्तिकप्रभा जी ने सुमधुर संगान के साथ महाप्रज्ञ स्तुवना की। साध्वी चिंतनप्रभा जी ने अपनी अभिव्यक्ति में बताया कैसे थे महाप्रज्ञ।
महिला मंडल की ओर से राजकुमारी राखेचा, विमला देवी ने गीत का संगान किया। दिल्ली सभा के मंत्री सुरेंद्र नाहटा, हिम्मत राखेचा ने मधुर गीत का संगान किया। रोहिणी सभा के अध्यक्ष मदनलाल जैन ने महाप्रज्ञ व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए आभार प्रदर्शन किया।