अनुशासन अनजानी अंधेरी पगडंडियों में प्रकाश दीप
विल्लुपुरम
मुनि अर्हत कुमार जी ने मर्यादा महोत्सव के अवसर पर कहाअनुशासन अनजानी अंधेरी पगडंडियों में प्रकाश दीप है। आचार्य भिक्षु ने मर्यादाओं का सूत्रपात किया और पूर्ववर्ती आचार्यों ने अपने खून-पीसने से इस धर्मसंघ को सींचा व जयाचार्य ने इसे महोत्सव का रूप दिया और आज आचार्यश्री महाश्रमण जी मर्यादा की महिमा को दशों दिशाओं में फैला रहे हैं। हम भी मर्यादा में रहकर जीकर नए क्षितिज को छूने का प्रयास करें।
सहयोगी संत मुनि भरत कुमार जी ने कहा कि मर्यादा नियम है, मर्यादा संरक्षण है, मर्यादा समर्पण है, मर्यादा संगठन है, मर्यादा सिद्धांत है, जो मर्यादा में रहता है वह आबाद रहता है व याद रहता है। बाल संत जयदीप कुमार जी ने मर्यादा की व्याख्या की। कार्यक्रम का शुभारंभ महिला मंडल के मंगलाचरण से हुआ। स्वागत भाषण विल्लुपुरम सभा अध्यक्ष जवारीलाल सुराणा ने दिया। दिशा बाफना, गीता बरड़िया, मदुरै सभा अध्यक्ष जयंतीलाल जीरावला, मंजु पुदुच्चेरी से हेमराज कुंडलिया, निर्मल पारख, त्रिची सभा अध्यक्ष अजित बोथरा, रिखबचंद बंब, मुकेश ने अपने विचार व्यक्त किए। स्नेहा भंडारी, हर्षा आंचलिया, तेयुप विल्लुपुरम, सरला ओस्तवाल, वलवनुर महिला मंडल, त्रिची महिला मंडल, शोभाग सांड, हर्षित बोथरा आदि ने अपने भावों को गीत के माध्यम से प्रस्तुत किया। मदुरै ज्ञानशाला से ओजस पारख, पार्श्व दुगड़ ने प्रस्तुति दी। महिला मंडल एवं कन्या मंडल ने शब्द चित्र की प्रस्तुति दी। आभार ज्ञापन महेंद्र धोका ने किया। कार्यक्रम में मदुरै, त्रिची, कदलुर, कुम्बकोनम, पुदुच्चेरी, कांचीपुरम, मायावरम, चेन्नई, तिरुकालिकुंडम, सिरकाली, तिरुवनामलै, वलवनुर आदि क्षेत्रों से लोगों ने उपस्थित होकर कार्यक्रम को सफल बनाया।