अणुव्रत के छोटे-छोटे नियमों की पालना से दशा और दिशा बदल सकती है
बैंगलुरु
अणुव्रत समिति के संयोजन में अणुव्रत विश्व भारती के तत्त्वावधान में तेरापंथी सभा भवन के प्रांगण में अणुव्रत काव्य धारा का आयोजन हुआ। साध्वीवृंद के नमस्कार महामंत्र मंगलाचरण से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। शासनश्री साध्वी कंचनप्रभाजी ने कहा कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में पाश्चात्य सभ्यता चरम सीमा पर है। एक ऐसा युग था जहाँ चारों ओर सांप्रदायिक हिंसा, भ्रष्टाचार एवं अनेक प्रकार की हिंसक प्रवृत्तियाँ अपने चरम सीमा पर थीं। उस परिप्रेक्ष्य को युग के महानायक गणाधिपति पूज्य गुरुदेवश्री तुलसी ने अपनी ओजस्वी, दूरदर्शी निगाहों से महसूस किया व चिंतन किया कि व्यक्ति सन्मार्ग पर चलकर समाज व राष्ट्र के कल्याण हेतु कैसे सहभागी बन सकता है। अणुव्रत के छोटे-छोटे नियमों को अगर हर व्यक्ति अपने जीवन में उतार ले तो अवश्य आदर्श राष्ट्र की स्थापना हो सकती है। साध्वी लावण्यश्री जी ने कहा कि अणुव्रत एक ऐसा अस्त्र है जिसमें किसी प्रकार की हिंसा नहीं है, इसे अपनाने में फायदा ही फायदा है। काव्यधारा कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना से हुई। अणुव्रत समिति, बैंगलोर के अध्यक्ष शांतिलाल पोरवाल ने स्वागत वक्तव्य दिया। इस आयोजन के केंद्रीय संयोजक ललित बाबेल ने आयोजन की रूपरेखा रखी। राष्ट्रीय सहमंत्री कनहैयालाल चिप्पड़ ने मुख्य अध्यक्षता करते हुए अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। तेरापंथ सभा उपाध्यक्ष कैलाश बोराणा ने सभी संस्थाओं का स्वागत किया। कवि मिठू मिठास, अनिल अवस्थी, ईश्वर करुण, डॉ0 सुनील तरुण, डॉ0 श्रुति शारदा व स्वीटी सिंगल ने अपनी काव्यधारा की प्रस्तुति से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। अणुव्रत समिति द्वारा सभी कविगण का सम्मान किया गया। कार्यक्रम के प्रायोजक कन्हैयालाल राजेश कुमार चिप्पड़ का अभिनंदन किया गया। इस अवसर पर महासभा से प्रकाश लोढ़ा, तेरापंथ ट्रस्ट अध्यक्ष गौतमचंद मूथा, तेयुप अध्यक्ष विनय बैद, महिला मंडल अध्यक्षा स्वर्णमाला पोखरना, विजयनगर सभा अध्यक्ष राजेश चावत, शुभ-लाभ पत्रिका के संपादक राजेंद्र व्यास, सहित अनेक पदाधिकारीगण एवं सदस्यों की उपस्थिति रही। कार्यक्रम का संचालन संयोजिका सुमित्रा बरड़ियाने किया। अणुव्रत समिति मंत्री माणकचंद संचेती ने आभार ज्ञापन किया।