तप साधना से कर्मों को काटने का प्रयास करें : आचार्यश्री महाश्रमण
महरौली, दिल्ली, 8 मार्च, 2022
अध्यात्म साधना के शिखर पुरुष आचार्यश्री महाश्रमण जी ने मंगल प्रेरणा प्रदान करते हुए फरमाया कि आगम में मार्ग बताया गया है। मार्ग-पथ क्या है? ज्ञान, दर्शन, चारित्र और तप ये मार्ग हैं। ये चतुष्टयी मार्ग मोक्ष का मार्ग है। जहाँ पहुँचना है, उसकी जानकारी चाहिए। लक्ष्य तय होना चाहिए। लक्ष्य की प्राप्ति का उपाय-मार्ग क्या है, ये जानकारी होनी चाहिए।
मंजिल पाने के लिए चलना पड़ता है। मंजिल, मार्ग और गति गंता को लक्ष्य तक पहुँचा सकती है। निष्पत्ति हो सकती है। कहीं-कहीं इस चतुष्टयी से अलग तीन की बात भी आती हैसम्यक् दर्शन, ज्ञान, चारित्राणिमोक्ष मार्ग:। ये तीनों मोक्ष के मार्ग हैं। तप चरित्र के अंतर्गत आ जाता है। मोक्ष प्राप्ति के लिए कर्मों का झड़ना भी आवश्यक है। संवर और निर्जरा मोक्ष की साधना के लिए आवश्यक है। संवर और निर्जरा में संवर का अधिक महत्त्व है। निर्जरा तो मिथ्या दृष्टि वाले के भी हो सकती है। संवर तो पाँचवें गुण स्थान में होता है। चारित्र तभी होता है, जब संवर होता है। चारित्र के बिना तप तो हो सकता है।
संवर की साधना है, तो कर्मों को तो झड़ना ही होगा। संवर हमारा पुष्ट हो। चारित्रवान जो भी क्रिया करेगा, निर्जरा तो होगी ही।
सम्यक्त्व संवर आ गया तो मिथ्यात्व से बंधने वाले कर्मों का रास्ता बंद हो जाता है। यह एक प्रसंग से समझाया कि बाहर से कचरा न आए, दरवाजा बंद कर लिया तो भीतर की सफाई हो सकती है। तपस्या का भी महत्त्व है, कर्म काटने के लिए। संवर के साथ जो तप होता है, उसका महत्त्व बहुत ज्यादा है। बारह प्रकार के तप बताए गए हैं। तपस्या अच्छी साधना है। कोई त्याग करते हैं, तो उसे संकल्परूप से निभाएँ, यह एक प्रसंग से समझाया। आदमी ऊनोदरी तप करे। ऊनोदरी खाने की, कपड़ों की, वाणी की भी हो सकती है। शुभ योग तप होता है। कर्मों को काटने वाला तप होता है। निर्जरा कर्म है, तप कारण है। हम अपने जीवन में संवर और तप की साधना करें और कर्मों को काटने का प्रयास करते रहें, यह काम्य है। आज दिल्ली के अध्यात्म साधना केंद्र परिसर में आ गए हैं। सब अच्छा रहे। अखिल भारतीय अणुव्रत न्यास के अध्यक्ष के0सी0 जैन ने पूज्यप्रवर की अभिवंदना में अपनी भावना रखी। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।