ज्ञानशाला निखारती संस्कारों के सौंदर्य को

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ज्ञानशाला निखारती संस्कारों के सौंदर्य को

चेन्‍नई
ज्ञानशाला वह प्रयोगशाला है जहाँ बच्चों के जीवन को स्वर्ण के समान निखारा जाता है। ज्ञानशाला वह उपक्रम है जहाँ बच्चों के स्वर्णिम भविष्य का निर्माण होता है। निम्न विचार तेरापंथ सभा द्वारा आयोजित ज्ञानशाला वार्षिक उत्सव में मुनि अर्हत कुमार जी ने व्यक्‍त किए। मुनिश्री ने आगे कहा कि आचार्यश्री तुलसी ने धर्मसंघ को अनेक आयाम दिए हैं, पाश्‍चात्य संस्कृति की विषैली हवा से बदलते संस्कारों की दुर्दशा देख भोले-भाले बचपन को इस हवा से सुरक्षित रखने के लिए ज्ञानशाला का यह सुनहरा उपहार तेरापंथ धर्मसंघ को दिया। ज्ञानशाला नैतिक मूल्यों के विकास में अहम् भूमिका निभाती है। हमें अपने बच्चों को निरंतर ज्ञानशाला भेजकर बच्चों के स्वर्णिम भविष्य का निर्माण करना चाहिए। सहयोगी संत मुनि भरत कुमार जी ने कहा कि जिसके मन में बड़ों के प्रति सत्कार है, जिसका पढ़ाई से प्यार है, जिसके दिल में धार्मिक संस्कार हैं, वही बच्चा फिर घर का बनता कर्णधार है। मुनि जयदीप कुमार जी ने कहा कि ज्ञानशाला वह कॉलेज है, जिसमें संस्कारों की अनमोल शिक्षा दी जाती है। स्वागत भाषण सभाध्यक्ष प्यारेलाल पितलिया ने किया। ज्ञानशाला प्रभारी सुरेश बोहरा ने ज्ञानशाला की वार्षिक रिर्पोट प्रस्तुत की। कार्यक्रम में सहयोगी रहे सभी व्यक्‍तियों के प्रति आभार व्यक्‍त किया। मानकचंद बोहरा, संपतराज गांधी, राजश्री डागा, सुबोध सेठिया व दीपाली सेठिया को उत्कृष्ट सेवा के लिए चेन्‍नई ज्ञानशाला द्वारा गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया गया। तेरापंथी महासभा ज्ञानशाला प्रकोष्ठ द्वारा विगत दो वर्ष के लिए श्रेष्ठ ज्ञानार्थी, उत्तम ज्ञानशाला, श्रेष्ठ प्रशिक्षक, श्रेष्ठ सहयोगी प्रशिक्षक व वरिष्ठ प्रशिक्षक आदि चयनित व सम्मान प्राप्त आठ ज्ञानशालाओं, ज्ञानार्थियों तथा प्रशिक्षकों का विशेष सम्मान किया गया। शिशु संस्कार बोध परीक्षा में प्रथम, द्वितीय व तृतीय तथा श्रेष्ठतम स्थान प्राप्त करने वाले ज्ञानार्थियों का सम्मान प्रमाण पत्र व उपहार भेंट कर किया गया। तेरापंथी सभा द्वारा प्रायोजकगण का मोमेंटो प्रदान कर सम्मान किया गया। ज्ञानार्थियों व प्रशिक्षकों के लिए अनेक आकर्षक, अनूठे व रोचक खेल कार्यक्रम आयोजित किए गए। विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम का संयुक्‍त संचालन कविता सोनी, चेतना बोहरा व कविता मेडतवाल ने तथा धन्यवाद ज्ञापन नरेंद्र भंडारी ने किया। कार्यक्रम में सभी संघीय संस्थाओं के पदाधिकारीगण, अभिभावकगण एवं सदस्यों, श्रावकों की उपस्थिति रही। आंचलिक संयोजन कमलेश बाफना ने विचार व्यक्‍त किए।