जो स्वजनों के प्रेम को घटाता है, जीवन की दुर्गति करता है, अचिन्तित अनर्थ पैदा करता है, ऐसे धन को धिक्कार। - आचार्य श्री भिक्षु
जो स्वजनों के प्रेम को घटाता है, जीवन की दुर्गति करता है, अचिन्तित अनर्थ पैदा करता है, ऐसे धन को धिक्कार।
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