नारी जाति का गौरव बढ़ाया
तेरापंथ धर्मसंघ में व्यवस्था संचालन की दृष्टि से साध्वीप्रमुखा का पद एक महत्त्वपूर्ण पद है। आज तक हुई आठ साध्वीप्रमुखाओं में से इस पद को सर्वाधिक प्रलंब समय तक सुशोभित कियाअसाधारण साध्वीप्रमुखा कनकप्रभाजी ने। युगप्रधान आचार्यश्री तुलसी ने सदैव ही नारी जाति का गौरव बढ़ाया। उनके इस महनीय कार्य की एक सशक्त माध्यम बनीसाध्वीप्रमुखाश्री कनकप्रभा। आदरास्पद साध्वीप्रमुखाश्री जी ने अपनी धीरता, गंभीरता, आगम भक्ति, गुरुभक्ति, शासनभक्ति, स्वाध्याय रसिकता, श्रुताराधना, समता, ममता, सौम्य व्यवहार, आचार निष्ठा, गुणग्राहकता, नेतृत्व क्षमता आदि अनेकों-अनेकों उच्च कोटि के गुणों के द्वारा इस पद की गुरुता को शिखरों पर चढ़ाया। वे वस्तुत: आचार्यश्री तुलसी की कृति थी। अपने कर्तृत्व के द्वारा उन्होंने सदैव ही अपने व्यक्तित्व को निखारा। परिणामत: असाधारण साध्वीप्रमुखा, शासनमाता जैसे संबोधन सहज ही उनके व्यक्तित्व के साथ जुड़ते गए।
मेरा यह सौभाग्य रहा कि मुझे सदैव ही उनकी कृपा प्राप्त होती है। शासन गौरव मुनि ताराचंदजी स्वामी के साथ जब-जब भी उनकी उपनिषद होती, मैं भी प्राय: साथ में ही रहता। ‘संघ की तेजस्विता कैसे बढ़े’ इस बिंदु पर उनकी तड़फ को देखकर मैं अवाक् रह जाता। समय-समय पर उनकी प्रेरणा मुझे मिला करती थी। जीवन के संध्याकाल में, जयपुर तथा बीदासर में, मैंने निकटता से उन्हें देखा। मेरा मानना है कि अपनी कष्ट सहिष्णुता तथा समता के द्वारा निश्चित ही उन्होंने घोर कर्मों की निर्जरा की है। उस महान विभूति ने जो आदर्श स्थापित किया, उसका मैं अनुसरण करूँ तथा वह परम आत्मा शीघ्र ही परमात्मा बनें, यही उनके प्रति मंगलकामना।