स्मृतियाँ रह-रह आए
शासनमाता संघ समूचा, तेरी महिमा गाए।
श्रद्धांजलि चरणों में अर्पित, स्मृतियाँ रह-रह आए॥
युगप्रधान महाश्रमण प्रभु ने, संथारा पचखाया।
गुरुवर की शुभ सन्निधि में यह, नव इतिहास रचाया।
नौका पार लगी गुरु कर से, तेरे भाग्य सवाए॥
महाश्रमण गुरुवर ने गण को दी थी शासनमाता।
ज्योतिर्मय माँ से था जन-जन, नई रोशनी पाता।
भक्त तुम्हारे हर-पल, हर-क्षण, तेरा गौरव गाए॥
स्नेह-सिंचन पा तुमसे गण की, कलि-कलि विकसाई।
जहाँ टिके हैं चरण तुम्हारे, वह माटी मुस्काई।
मुस्काता चेहरा नयनों से, ओझल नहीं हो पाए॥
अनगिन प्राणों में माँ तुमने, नूतन प्राण भरे हैं।
पा प्रेरणा तुमसे गण के, तरुवर हरे-भरे हैं।
दो आशीवर गण जगदंबा, गण का मान बढ़ाए॥
इतनी क्या जल्दी थी बोलो? उत्तर कौन बताए।
स्वर्ग-लोक से देना, दर्शन, मन के भाव सुनाएँ।
श्रमणी-गण सरदारां तुमको, सविनय शीश झुकाएँ॥
लय : जनम-जनम का साथ----