हम सभी आत्मनिग्रह की दिशा में आगे बढ़ें : आचार्यश्री महाश्रमण
अध्यात्म साधना केंद्र, 14 मार्च, 2022
महातपस्वी, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण जी ने मंगल देशना प्रदान करते हुए फरमाया कि हमारी दुनिया में सुख भी है, दु:ख भी है। अनेक बार आदमी अपने चिंतन से दु:खी बन जाता है। चिंतन में बदलाव आता है, तो वह दु:ख दूर भी हो सकता है। परिस्थिति कठिन है, एक आदमी उससे दु:खी हो रहा है, तो दूसरा आदमी दु:खी नहीं भी होता है। समस्या जीवन में आ सकती है, पर समस्या से मानसिक स्तर पर दु:खी बनना जरूरी नहीं है। समस्या और दु:ख एक चीज नहीं है। भौतिक कठिनाईयाँ या मानसिक परेशानियाँ हो सकती हैं। भावात्मक विकास नहीं होता है, तो आदमी कठिनाइयों से दब सकता है। इन दु:खों से छुटकारा मिल सकता है क्या? मिल सकता है, तो उसका तरीका क्या है? शास्त्रकार ने बताया है, अपने आपको ही अभिनिग्रिहित करो। अपने आप पर कंट्रोल करो। इस प्रकार तुम दु:ख से मुक्त हो जाओगे। सुख-दु:ख हमारे भीतर ही है।
हमारे साधु संस्था में चित्त समाधि की बात चलती है। चित्त समाधि अच्छी रहे। मैं मेरी चित्त समाधि अपने हाथ में रख सकूँ तो बढ़िया बात है। चित्त समाधि पराश्रित हो गई तो अप्रसन्नता हो सकती है। उपादान मजबूत होगा तो चित्त समाधि खंडित नहीं होगी। क्या तो अरति है, क्या आनंद है? ग्रहण मत करो। ग्रहण करेंगे तो दिमाग में असर होगा। कोई बुराई करता है, उसमें सच्चाई है, तो उस बात पर ध्यान देकर कमजोरी को दूर करें। तथ्य नहीं है, तो उस पर ध्यान मत दो। चित्त समाधि अपने हाथ में ही रहे। परिवार हो, संस्था हो, अपनी शांति अपने पास रहे। निमित्त प्रतिकूल होने पर भी हमारी शांति भंग न हो। हमारी सहनशीलता-समता की शक्ति रहे। मन को वाटर प्रूफ बना लें। यह एक प्रसंग से समझाया कि निमित्त भले प्रतिकूल है, पर निमित्त समाधि को खंडित न कर दे। अपने चिंतन को अच्छा रखें। सहिष्णुता जीवन में रहे। दूसरे के कहने से कोई चोर या बड़ा नहीं बन जाता है। हमारा धर्मसंघ आध्यात्मिकता से जुड़ा धर्मसंघ है। हम उसके पथिक बने रहें। इसके लिए अपने आपका निग्रह करना अच्छा रहता है।
जिनको तिथि या दिनांक से दीक्षा लिए 25 वर्ष हो गए हैं, वो अपनी साधना का और विकास करे। अच्छी सेवा व धर्मसंघ की प्रभावना करें। हम सभी आत्मनिग्रह की दिशा में आगे बढ़ें, यह काम्य है। पूज्यप्रवर ने शासनमाता के स्वास्थ्य की मंगलकामना हेतु मंत्र जप का उच्चारण करवाया। पूज्यप्रवर के सान्निध्य में शासनश्री साध्वी कंचनकुमारी जी ‘लाडनूं’ की स्मृति सभा का आयोजन हुआ। पूज्यप्रवर ने उनके जीवन के विषय मे फरमाया कि उनकी आत्मा की मंगलकामना करते हुए चार लोगस्स का ध्यान करवाया। मुख्य मुनिश्री, मुख्य नियोजिकाजी, साध्वीवर्याजी, साध्वी जिनप्रभाजी, साध्वी कंचनकुमारीजी की सहवर्तिनी साध्वियों द्वारा गीत, साध्वी सिद्धप्रभाजी, साध्वी मलययशाजी, साध्वी आस्थाप्रभाजी, मुनि कमल कुमार जी, समणी सौम्यप्रज्ञा जी, मुनि रिषभकुमार जी ने साध्वी कंचनकुमारी जी की आत्मा के प्रति मंगलकामना की। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।