करुणा रस बरसाया
करुणा रस बरसाया
महाश्रमणी की कार्यकुशलता, सबके दिल को भाई।
तेजस्वी आभावलय से ऊर्जा हमने पाई।।
अप्रमत्त बन करके जीना, तुमको सदा सुहाया।
वैराग्य प्रधान जीवन साधक का, आगम में बतलाया।
उच्च शिखरों पर चढ़ने वाला, पाता है तरुणाई।।
लाखों भक्तों पर माता ने, करुणा रस बरसाया।
मुरझे हुए हृदय कमल को, तुमने ही महकाया।
समता अनुपम देख-देखकर, कलि-कलि विकसाई।।
शासनमाता सन्निधि तेरी हरपल आती याद।
अमृतरस उस ग्रास में, होता अद्भुत स्वाद।
प्रफुल्लित रहता मन यह मेरा, शक्ति मैंने पाई।।