हे सतीशेखरे!
हे सतीशेखरे!
साध्वी महकप्रभा
हे सतीशेखरे! अजब गजब इतिहास रचायो सा।
चाल्या म्हाने छोड़ मनड़ो सगला रो ही उचटायो सा।
ओ दिवलो क्यों आयो सा।।
पहला ही याम में गुरु तुलसी युग में प्रमुखा बणग्या सा।
गुरुवर महाश्रमण री किरपा स्यूं कारज सारा सरग्या सा।
गण रो सुयश बढ़ायो सा।।
छोटा-मोटा सतियाँ सगला मानै थांरो उपकार घणो।
कोमल हियड़ै दो नयणां सूं बणां लिया सबने अपणो।
ममता रो दरियो बहायो सा।।
आई स्वर्ण जयंती गुरुवर सतरंगो दृश्य दिखायो सा।
चंदेरी में थांने शासनमाता रो ताज दिरायो सा।
आनंद घन रम बरसायो सा।।
फागुण सुद चौदस में अंतिम सांसो लियो गुरुवर चरणां।
हे मातृहृदये! वर दो म्हैं भी थारी ही छाँव बणां।
अमोल ‘कनक’ कहायो सा।।
लय: ए जी हां सा म्हारे...