शासनमाता श्रद्धाअर्पण
शासनमाता श्रद्धाअर्पण
साध्वी जिनबाला
जीवनदात्री, स्नेहप्रदात्री, शासनमाता श्रद्धाअर्पण।
ऊर्जादात्री, नव निर्मात्री, भावभरा सर्वस्व समर्पण।।
तुलसी गुरुवर, करकमलों से,
शिक्षित, दीक्षित और परीक्षित।
भैक्षव शासन साध्वीप्रमुखा,
पद से प्रभु ने किया विभूषित।
एक-एक के दिल को जीता,
श्रमणी गण की तुम थी धड़कन।।
अद्भुत अनुपम पुण्य शालिनी,
किन शब्दों में गौरव गाऊँ।
त्रय आचार्यों की पाई जो,
कृपा अनूठी बता न पाऊँ।
स्थान बनाया जैसा तुमने,
मिल न सकेगा और उदाहरण।।
चंदेरी की शुभ्र चांदणी,
करुणा की अमृत निर्झरणी।
सम, शम, श्रम की मंदाकिनी हो,
तरणी और सदा तारिणी।
समता òोतस्विनी की पाई,
भाग्योदय से चरण-शरण।।
ममतामयी अमृतहृदय तुम,
पलक झपकते छोड़ गई हो।
वर्षों से जो जुड़ा हुआ था,
नाता पल में तोड़ गई हो।
सदा दिलों में अमर रहेगा,
पाया जो अमृतमय सिंचन।।
जीवनदात्री, स्नेह प्रदात्री,
शासनमाता श्रद्धा अर्पण।।
ऊर्जादात्री, नव निर्मात्री,
भाव भरा सर्वस्व समर्पण।।