हर पल याद सताए
हर पल याद सताए
साध्वी समत्वयशा
शासनमाता संघ-क्षितिज पर आज,
गूंजित तव अभिधान।
तेरी वत्सलता को पाने तड़फ रहे ये प्राण।
दर्शन का दो दान, फल जाए अरमान।।
धरती अम्बर लगता सूना, सूनी लगती हवाएँ।
एक बार आ दर्शन दे दो, सबका मन मुस्काए।
मुरझी-मुरझी इन कलियों में आकर भर दो जान।।
संघ निदेशिका, महाश्रमणीवर, किसको आज कहे हम।
असाधारण साध्वीप्रमुखा, तेरे ध्यान धरें हम।
शासनमाता शासन की तुम, यह प्रभु का फरमान।।
काम अधूरे अब भी तेरे, कुछ तो गौर कराते।
योगक्षेम अहिंसा यात्रा, उनको पूरा कराते।
इतनी जल्दी कर तैयारी, क्यों किया तूने प्रस्थान।।
स्मृतियाँ तेरी रह-रह आए, हरपल याद सताए।
सतिशेखरे! संघ समूचा, तुमको आज बुलाए।
भावांजलि अर्पित चरणों में, गाऊँ तव गुणगान।।
लय: ओ कान्हा अब...