ममता री मूरत!

ममता री मूरत!

ममता री मूरत!

साध्वी प्रभातप्रभा

ममता री मूरत!
कठै स्यूं म्है लावां।
बताओ शासनमाता आज होऽऽ
थांरो वत्सल हाथ सिर पर कियां म्है पावां।
बताओ महाश्रमणी जी आज।।

चालणो, बोलणो, खाणो सिखायो, सब पर हैं थांरा उपकार
तपते सूरज में कियां संयम पाला, सीखां थांरी घणी सुखकार
इत्ता जल्दी कियां थे पधार्या, बोलो बताओ ओ राज।।

प्रशासन शैली घणी अलबेली, सबने संभाल्यो सतिवर आप
आंख्यां ही आंख्यां में कह देता सब कुछ, ऐसी अनूठी थांरी धाक
पाँच दशक दिलां पर राज कर्यो थे, श्रमणीगण सरताज।।

वेदना-समता में जंग छिड़ी थी, साक्षी हो चतुर्विध समाज
पल-पल पवित्रता विजयी बणी थी, दुर्लभ अवसर दिल्ली खास
थांरी गौरव गाथा कै गावां, गुरुवर ने हो थां पर नाज।।
(तुलसी/महाप्रज्ञ/महाश्रमण)

होली रे दिन सै रंग फीका करग्या, रंगा रा थे बड़ा कलाकार
निर्माता स्यूं मिलणे री जल्दी कै लागी, कांई बठै पड्यो हो उपहार
छोटी-मोटी सै सतियां बुलावे, आओ पधारो सतीराज।।

लय: बाई चाली सासरिये...