जय-जय शासनमाता
जय-जय शासनमाता
साध्वी अर्हतप्रभा
जय-जय शासनमाता।
अणमापी समता ही थांरी, दूरदर्शिता सब स्यूँ न्यारी।
जावां बार-बार बलिहारी।।
वत्सलता री मूरत प्यारी, सहनशीलता गजब तुम्हारी।
सुण-सुण चकरावै नर-नारी।।
दीव्य साधना, उपशम धारी, स्वाध्यायशीलता री फुलवारी।
थांरै चरणां रा आभारी।।
अद्भुत ज्ञान-पिपासा भारी, शम-श्रम-सम अनुपम सहचारी।
शासनमाता अमृतझारी।।
तुलसी प्रभुवर स्यूँ इकतारी, महाप्रज्ञ गण केशर-क्यारी।
गुरुवर आब बढ़ाई थांरी।।
म्हांनै पल-पल याद सतावै, आँख्या आँसूड़ा ढ़लकावै।
मनड़ो भर-भर के आवै।।
महाश्रमण सन्निधि सुखकारी, ज्योतिचरण है महाउपकारी।
दिल्ली राजधानी मनहारी।।
लय: धरती धोरां री...