भावों पर आधारित है लेश्या
कोयंबटूर।
अभातेममं के निर्देशानुसार तेममं के तत्त्वावधान में महिला मंडल एवं कन्या मंडल के लिए कार्यशालाओं का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत मंडल की बहनों द्वारा मंगलाचरण से हुई। बाद में स्वागत भाषण अध्यक्षा मंजु गीड़िया ने कहा कि सात्त्विक रंगों में खुद को रंगकर विकास करना है। मंडल उपाध्यक्ष रूपकला भंडारी ने पुरानी ढालों का पुुनरावर्तन गाकर किया।
रूपांतरण शिल्पकला ‘लेश्या’ पर शांति मरोठी ने बताया कि जैसी हमारी भावधारा होती है, वैसी ही हमारी लेश्या होती है। जीव जिस लेश्या में मरता है, उसी लेश्या में ही जन्म लेता है। उपासिका बहन सुशीला बाफना ने ‘अपने स्वास्थ्य पर रंगों का प्रभाव एवं चैतन्य केंद्र’ पर प्रकाश डाला।
कन्या मंडल प्रभारी ममता पुगलिया ने कन्या मंडल को सेल्फ डिफेंस कैसे करना चाहिए। इसके बारे में बताया कि आत्मविश्वासी और भयमुक्त होकर रहना चाहिए। इसकी प्रेरणा कन्या मंडल की बहन रिद्धि पुगलिया द्वारा प्रेक्टिकल नॉलेज देकर समझाया। संचालन कोषाध्यक्ष सुमित्रा पारेख ने किया। अंत में धन्यवाद ज्ञापन सहमंत्री ज्योति सुराणा ने किया।