करुणा का हिमालय - शासनमाता
गुरुदेवश्री तुलसी ने आपश्री के जीवन को सजाया, संवारा और निखारा। सचमुच तीन-तीन गुरुओं की कृपा दृष्टि पाने वाली ‘लाडनूं की लाड़ली’ ने अपनी अनमोल ऊर्जा से नारी समाज में कोमल रिश्ते स्थापित कर उनकी हर उम्मीदों का बीज वपन किया। अतः युगों-युगों तक नारी आभारी रहेगी। आपश्री का व्यक्तित्व करुणा का हिमालय, उत्साह का निर्झर और अध्यात्म का उत्कर्ष था।
कार्य का बोझ, शरीर की थकान लोगों की भीड़ कोई भी परिस्थिति उनकी गतिशीलता को कोई रोक नहीं सका। उदासीनता, आलस एवं थकान के परमाणु परिपार्श्व में भी नहीं ठहर सकते थे। आपश्री के बाह्य व्यक्तित्व के साथ आंतरिक व्यक्तित्व भी दिव्यता से आपूरित रहा।
सेवाकेंद्र में वृहद माइतों को आपश्री ने जो चित्त समाधि पहुँचाई, उसे हम शब्दों में अभिव्यक्त नहीं कर सकते। सचमुच पूरे साध्वी समाज को माँ जैसा वात्सल्य देकर मार्गदर्शिका बनकर उन्हें योगक्षेम पर आरूढ़ किया।
आचार्यश्री महाश्रमण जी ने आपश्री की जन्मधरा चंदेरी में ‘शासनमाता’ का जो सम्मान दिया, उसे सदियों तक याद किया जाएगा। आपकी जादूई वाणी का अमिट प्रभाव, उसे हर भक्त याद कर रहा है। आज हम भावों से ‘श्रद्धा सुमन’ चढ़ाते हैं। जो आपसे ऊर्जा मिली है। उससे हमारी संघभक्ति व गुरुभक्ति बढ़ती रहे।