शासनमाता के चरणों में
शासनमाता के चरणों में श्रद्धा सुमन सजाते हैं।
असाधारण साध्वीप्रमुखा का हम गौरव गाते हैं।।
महाश्रमणी की सुख शैया में सोने का सौभाग्य मिला।
संयम यात्रा के मधुमय क्षण जीने का सुस्वाद मिला।
सजग सतत रहती हम सब उनके गुण स्मृति में लाते हैं।।
वत्सलता का निर्मल निर्झर, बहता सुंदर नयनों से।
आचार्यों का कार्य सुगम करती प्रमुखा अपनेपन से।
प्रोत्साहित प्रेरित करती, हम फुले नहीं समाते हैं।।
नहीं सोचा था इतनी जल्दी, छोड़ हमें वे जाएँगे।
दिल्ली महानगरी गुरु चरणों, अंतिम श्वास छुड़ाएँगे।
सूने से हो गए हम सब, अब कुछ भी समझ न पाते हैं।।
लय: क्या मिलिए----