शासनमाता महाश्रमणी को वंदन
शासनमाता महाश्रमणी को वंदन।
परम पथ की साधिका शासनमाता महाश्रमणी जी को वंदन।
अक्षय-शिव की महाज्योति, मुक्तिश्री का जो नव स्पंदन।
महायशस्वी माँ को करे प्रणाम।।
पुरुषार्थ की मशाल निरंतर जलती, काव्य कला निराली।
बात-बात में संबोध देते, पिलाते, नित नयी सुधा प्याली।
परम पारदर्शी को करे प्रणाम।।
स्वाध्याय प्रियता, मधुर वाणी समर्पण का संगम देखा।
आत्मस्थ, स्वस्थ, मस्त सारे जीवन का था लेखा-जोखा।
अनमोल अर्हता को करे प्रणाम।।
शक्ति भक्ति का दो वरदान, कर दो चेतन उद्योत।
श्रेष्ठतम हो जीवन चमन, आनंद उमंग का हो प्रधोत।
वचन वर्चस्विता को करे प्रणाम।।
शुचिता पूर्ण जीवन शैली, प्रज्ञा-प्रखर विशद तुम्हारा।
क्षमता, समता, ममता की मूरत, अंतर्मन से आभा निहारा।
निरंजन निराकार को करे प्रणाम।।