शासनमाता कल्याणी है

शासनमाता कल्याणी है

साध्वी गवेषणाश्री, साध्वी मेरुप्रभा,
साध्वी मयंकप्रभा, साध्वी दक्षप्रभा

शासनमाता कल्याणी है, गंगाजल का पानी है।
तुलसी युग की तरुणिमा, अनुपम अमिट निशानी है।।

कुशल प्रबंधन, समय नियोजन, अप्रमत्तता पहचान है,
आज्ञा, विनय और समर्पण, प्रगति शिखर सोपान है।
केसर प्यारी की महक है, श्रमणीगण की चहक है।।

सरस्वती बसती जिह्वा पर, काव्यधारा बहती अविकल,
हिमगिरि के उत्तुंग शिखर सी, शुभ्र साधना प्रतिपल।
नूतन सृजन की महादायिका, साध्वीगण की संघनायिका।।

अष्टसिद्धियों से शोभित, साध्वीप्रमुखा थी अष्टम्,
तेरापंथ की असाधारण, शासनमाता थी प्रथम।
मीरा सी अविरल गुरुभक्ति, पन्नाधाय सी अनुरक्ति।।

युगों-युगों तक अमर रहेगी, तेरी उज्ज्वल कीर्तिगाथा,
सबको दी है चित्त समाधि, आगे भी पहुँचाना साता।
बोल रहा तेरा बलिदान है, मिला संघ को महाअवदान है।।

लय: आज मंगलवार है---