शासन माता की -3
शासन माता की -3
सारे मिलकर जय - जय बोलो
कर्माे का कल्मष अब धोलो
निज जीवन को धन्य बनालो ।।
शासन माता की -3
महानगरी में जन्म तुम्हारा
पाया कला नाम मनहारा
जीवन अपना खूब निखारा ।।
शासन माता की -3
सूरज छोटा आंगन जाई
बैद घर में लक्ष्मी आई
कन्या की दीपे पुण्याई ।।
शासन माता की -3
संस्कारों से शोभित बगिया
मन की खिल जाती है कलिया
हो संयम से शोभित बगिया ।।
शासन माता की -3
गुरु तुलसी से संयम पाया
जीवन अपना धन्य बनाया
गुरु इंगित पर कदम बढाया।।
शासन माता की -3
तन में रोग भंयकर आए
फिर भी किचिंत ना घबराएँ
गुरुवर पूरा साझ दिराए।।
शासन माता की -3
अनशन गुरु मुख से स्वीकारा
चार तीर्थ ने दृश्य निहारा
शिव पथ पर प्रस्थान तुम्हारा ।।
शासन माता की -3
फाल्गुन शुक्ला चवदस आई
दिल को बिलकुल ना ही सुहाई
महाश्रमणीजी स्वर्ग सिधाई।।
शासन माता की -3
तर्ज: धरती धोरा री