अर्हम्

अर्हम्

मन-मंदिर मूरत मनहारी, महाश्रमणीजी महिमाघारी
धन्य-धन्य है शासनमाता, नहीं भूलां म्है उपकार।
चित्त में बसग्या रे
भिक्षु गण रमग्या रे।।
मां सी ममता, अदभुत क्षमता, समता रो नहीं पार रे
तन में व्याघि, मन में समाघि, दृढ.ता ही अनपार
कल्मष ने हरग्या रे
गुरु किरपा रस वरग्या रे।।
गुरु निष्ठा, गण निष्ठा, आगम निष्ठा आंठू याम ही
हर पल-हर क्षण गुरु भक्ति, गुणगान करया शत वार
आत्मिक सुख लहग्या रे
अन्तर ऊर्जा स्यूं भरग्या रे।।
संयम री उजली चाद्दर ने, राखी थे इकसार हो
गुरु चरणां स्यूं ही इकतारी, सदा रही इकसार।।
भव-जल स्यूं तरग्या रे
मंत्र पथ वरग्या रे।।
पुण्य दिवस री पावन बेला, बीदाणै मनावां हो
शासनमाता री गौरव गाथा, गावां वर्ष हजार।।
इतिहास रचग्या रे
सफल नैतृत्व करग्या रे।।
यादां में बसग्या रे
सुसंस्कार भरग्या रे।।

तर्ज: मनड.ो लाग्यो रे