साध्वीप्रमुखाश्री कनकप्रभाजी की स्मृति सभा के आयोजन
महातपस्वी युग प्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी द्वारा शासनमाता अलंकरण से अलंकृत तेरापंथ धर्मसंघ की असाधारण साध्वी प्रमुखाश्री कनकप्रभाजी की स्मृति सभा का आयोजन आज तेरापंथ भवन, राजलदेसर में शासनश्री साध्वी बसंतप्रभाजी के सान्निध्य में किया गया। नमस्कार महामंत्र के उच्चारण के पश्चात महिला मंडल की रीना बैद ने श्रद्धांजलि गीत प्रस्तुत किया। इस अवसर पर साध्वी बसंतप्रभाजी ने जनता को संबोधित करते हुए कहा- ‘असाधारण साध्वी प्रमुखाश्री कनकप्रभाजी देदीप्यमान शासनमाता थी, जो शरीर से चली गई मगर उनके गुण अजर अमर हो गए। आपका आभामंडल पवित्र था। आपके जीवन में पुरुषार्थ की लौ निरंतर प्रज्ज्वलित रहती थी। आपका जीवन निष्ठा का जीवन था। संघनिष्ठा, गुरुनिष्ठा, आत्मनिष्ठा, मर्यादानिष्ठा, आचारनिष्ठा आदि निष्ठाओं से निष्णात जीवन था। गुरु भक्ति बेजोड़ थी। गुरु के प्रति समर्पण भाव अद्भुत था।’ उन्होंने आगे कहा कि शासनमाता के प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी जब हम उनके गुणों को उनकी शिक्षा को आत्मसात करेंगे।
साध्वी कल्पमालाजी ने अपने विचार रखते हुए कहा- ‘बिना दर्शन दिए शासनमाता हम से अलविदा हो गए। हमारा क्या कसूर था? ऐसे अचानक आप हमसे क्यों दूर हो गए’ हमें क्यों छोड़ चले गए . . . . . . . . स्वरचित गीत का संगान किया।
साध्वी कल्याणमित्राजी ने काव्य धारा से श्रद्धांजलि पेश की। साध्वी संकल्पश्रीजी ने कहा- ‘साध्वी प्रमुखाश्री जी कवयित्री थी, साहित्यकार थी, संपादिका थी, सब कुछ थी, मगर सबसे बड़ी विशेषता थी व्यवहार कौशलता। जिसके कारण वे सबकी सम्माननीय बन गई, पूजनीय बन गई। सबको ममता सी माँ जैसा प्यार दे गई। हम नतमस्तक हैं ऐसी असाधारण माँ को पाकर।’
शासनमाता की स्मृति सभा में श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष नवरत्नमलजी बैद मुथा, महिला मंडल की अध्यक्षा प्रेम देवी विनायकिया, कन्या मंडल की आरती बैद, ज्ञानशाला की जिया बैद, अणुव्रत समिति के अध्यक्ष शंकरलालजी सोनी, प्रेमप्रकाशजी पांडे, हेमलता घोसल, ममता कुंडलिया आदि ने ममतामयी शासनमाता के श्री चरणों में गीत, कविता, मुक्तक एवं वक्तव्य के माध्यम से श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम का संचालन साध्वी रोहितयशाजी ने किया।