विशिष्टताओं का विलक्षण प्रभापुंज - शासनमाता साध्वीप्रमुखाश्री कनकप्रभाजी
तेरापंथ धर्मसंघ की अष्टम् साध्वीप्रमुखा साध्वीप्रमुखा कनकप्रभाजी विशिष्टताओं का विलक्षण प्रभापुंज थी। युगद्रष्टा, युगप्रधान आचार्यश्री तुलसी कुशल जौहरी की भाँति पैनी नजरों से हीरों को पहचानने एवं तराशने में दक्ष थे। उन्होंने धर्मसंघ को तीन-तीन अमूल्य रत्न प्रदान किए, उनमें एक बहुमूल्य रत्न थी साध्वीप्रमुखा कनकप्रभाजी।
अपनी संघनिष्ठा, गुरुनिष्ठा, श्रमनिष्ठा, सेवानिष्ठा, कर्तव्यनिष्ठा, आचारनिष्ठा, विनय, समर्पण, श्रद्धा, भक्ति, प्रशासन कौशल, निष्पक्षता, अनुशासनप्रियता, प्रबुद्धता, अप्रमत्तता, स्वाध्यायशीलता आदि विशिष्टताओं से तीन-तीन आचार्यों के शासन में आप द्वारा उनके विश्वास को जीतते हुए, हर इंगित की आराधना करते हुए पाँच दशकों तक निरंतर साध्वीप्रमुखा पद के गुरुत्तर दायित्व का जिस रूप में कुशलता के साथ निर्वहन किया वह स्तुत्य है।
आपश्री में पूर्ववर्ती सातों साध्वीप्रमुखाओं के गुण परिलक्षित होते थे। साध्वीप्रमुखा सरदाराजी जैसी तेजस्विता, गुलाबसती सा वैदुष्य, नवला सती जैसी ऋजुता, जेठाजी सी तपस्विता, कानकुमारी जी सी भक्तिनिष्ठा, झमकुजी सी कला व व्यवहार कौशलता और लाडांजी सी सहिष्णुता जैसे गुण आपमें सहज ही देखे जा सकते थे, जो आपके व्यक्तित्व व कर्तृत्व को और अधिक ऊँचाईयाँ प्रदान करते थे।
मुमुक्षु कला से साध्वीप्रमुखा कनकप्रभा, महाश्रमणी, संघमहानिर्देशिका एवं असाधारण साध्सवीप्रमुखा कनकप्रभा जैसे गरिमामयी पदों को सुशोभित करती हुई आप अध्यात्म जगत की विरल पहचान थी। साध्वीप्रमुखा चयन के पाँच दशक पूर्ण होने पर अमृत महोत्सव के पावन अवसर पर महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने आपश्री को शासनमाता के अलंकरण से अलंकृत कर आपके बहुमुखी व्यक्तित्व को विराटता प्रदान की, वो धर्मसंघ के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय था।
आज आपश्री सदेह हमारे बीच नहीं हैं परंतु आपके गुणों, अवदानों की सौरभ से गण सदैव गुलजार रहेगा, आप इतिहास की अमर निशानी थी। आपके महाप्रयाण पर श्रद्धासिक्त भावों से श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए हार्दिक विनयांजलि, श्रद्धांजलि।
इंद्र बैंगाणी, दिल्ली
(पूर्व संपादक: तेरापंथ टाइम्स)