संत मिलन सुखकारी होता है
गंगाशहर।
आचार्य तुलसी समाधि स्थल नैतिकता का शक्तिपीठ से प्रस्थान कर तेरापंथ भवन, गंगाशहर में मुनि मोहजीत कुमार जी का पदार्पण हुआ। जहाँ पूर्व प्रवासित मुनि शांति कुमार जी आदि ने भावभीना स्वागत किया।
तेरापंथ भवन में स्वागत समारोह में संतों के स्वागत में मुनि शांतिकुमार जी ने कहा कि लंबे समय के बाद आप लोगों से मिलने का अवसर मिला। जीवन में ऐसे क्षण कम ही आते हैं कि लंबे समय के बाद मिलन हो। आज मुझे प्रसन्नता है कि शासनश्री मुनि सुखलाल जी स्वामी जो कि हमारे गाँव के वरिष्ठ संत थे। उन्होंने अणुव्रत के क्षेत्र में बहुत रचनात्मक कार्य किए। मोहजीत मुनिश्री ने तीन-तीन आचार्यों की सन्निधि में लंबे समय तक संयोजन का कार्य कर अपनी विशेष पहचान बनाई है।
मुनि भव्य कुमार जी श्रमशील, सेवाभाव और कार्यकारी संत हैं। मुनि जयेश कुमार जी से प्रथम बार मिलन हुआ है। ये विनम्र और बौद्धिक संत हैं। तीनों संतों का स्वागत कर विशेष आनंद का अनुभव कर रहा हूँ।
मुनि श्रेयांस कुमार जी ने शासन गौरव मुनि मधुकर जी स्वामी का स्मरण करते हुए शासनश्री मुनि सुखलाल जी स्वामी की सन्निधि का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि मुनि मोहजीत कुमार जी का आत्मीय भाव भी अनूठा है। एक समय हम लोग साथ-साथ रहे थे। मुनि भव्य कुमार जी का सेवाभाव अप्रतिम है। मुनि जयेश कुमार जी ज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं। सबके प्रति मंगलकामना।
इस अवसर पर मुनि प्रबोध कुमार जी, मुनि विमल बिहारी जी ने भी विचार प्रकट किए। मुनि जयेश कुमार जी ने आचार्य तुलसी की निर्वाण भूमि गंगाशहर में संयम ग्रहण के बाद प्रथम बार आने पर कहा कि मैं आज तीर्थभूमि में आकर अपने आपमें आह्लादित हूँ। मुनिवरों से मिलन भी प्रेरणादायी है।
मुनि मोहजीत कुमार जी ने गंगाशहर क्षेत्र से जुड़ी हुई स्मृतियों को प्रकट करते हुए गीत का संगान किया। कार्यक्रम में सभा, तेयुप, महिला मंडल ने सहभागिता दिखाई।