आचार्य भिक्षु की साधना को नमन
वाराणसी।
चैत्र शुक्ल नवमी का पावन दिन तेरापंथ धर्मसंघ के इतिहास का मुख्य पृष्ठ गिना जाता है। आज ही के दिन भिक्षु स्वामी ने सत्य की राह पर चलने के लिए अभिनिष्क्रमण किया। नमन करते हैं उनकी साधना को, उनकी आराधना को। दृढ़-संकल्पी भिक्षु ने आत्म-कल्याण के मार्ग पर कदम बढ़ाए और उनका पहला पड़ाव बना आज का दिन। दूसरा पड़ाव बना केलवा की अंधेरी ओरी जहाँ तेरापंथ का सूत्रपात हुआ। भिक्षु स्वामी की ही देन है यह तेरापंथ।
सौभाग्य से हमें तेरापंथ धर्मसंघ मिला और आचार्यश्री महाश्रमण जी जैसे सक्षम, पुण्यशाली आचार्य प्राप्त हुए। नमन करते हैं आचार्य श्री भिक्षु के त्याग को, यशस्वी आचार्य परंपरा को। यह विचार वाराणसी में तेरापंथ भवन में विराजित साध्वी डॉ0 पीयूषप्रभाजी ने व्यक्त किए। साध्वी सुधाकुमारी जी ने गीत का संगान किया। कविता भंसाली ने भिक्षु स्वामी को मेनेजमेंट गुरु बताया।
महिला मंडल ने मंगलाचरण किया। कार्यक्रम का संचालन साध्वी दीप्तियशा ने किया। कार्यक्रम में सभाध्यक्ष अशोक चोरड़िया, दिल्ली से समागत हनुमान बैद, अशोक भादाणी आदि श्रावक-श्राविकाएँ उपस्थित थे।