मां के आंचल में
मां के आंचल में
मां के आंचल में, हर प्रातः दिवाली, हर बार निराली है-------।
ओ मां, ओ मां ------- 4बार
जीने की नव राह दिखाई 2
मेरी खुशहाली थी वो मां तेरी शरण जो पाई
तुझसे नाता था, तुझसे वास्ता, क्यों छोड़ चली-------
यूं मां, यूं मां ---- 4बार
तेरे श्रम की, पुण्य ऋचाएं 2
तुम जैसा कुशल प्रशासक, शायद सदियों में आए
शुभ्र शुभंकर है, जीवन तेरा ये, कैसे निहारूं मां
ओ मां, ओ मां ----- 4 बार
तेरे उपकार भूला ना जाए 2
प्यासी अखियां तरसे हरपल, कैसे तुमको पाए
तेरे चरणों में, बीता जो हरपल, यादों में आए
ओ मां ----- 4 बार
आस्था सेे नित शीष झुकाऊं 2
दिव्य लोक से साझ दिराओं, भक्ति थाल सजाऊं
अमर रहेगी, शासन माता, बलि-बलि जाऊं मां
ओ मां -------- 4बार
लय: तू कितनी अच्छी है----- ओ मां